Tuesday, August 9, 2016

देशद्रोहियों के षड़यंत्रों से घिरी मोदी सरकार।

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देशद्रोहियों के षड़यंत्रों से घिरी मोदी सरकार।

ड्रग, सट्टेबाजी और फिरौती की काली कमार्इ को एक डॅान ने भारत के शेयर बाजार, एविऐशन, टीवी चेनल,रियल स्टेट और फिल्म कारोबार में लगा रखा है। मोदी सरकार बनने के बाद इसके काले और सफेद कारोबार पर संकट के बादल मंड़रा रहे हैं, इसलिए मोदी सरकार इस डॉन की आंख की किरकिरी बनी हुइ है। सरकार के अस्तित्व में आते ही इस डॉन ने देशद्रोहियों के साथ मिल कर षड़यंत्र रचने प्रारम्भ कर दिये, जो 2019 के लोकसभा चुनावों तक जारी रखे जायेंगे। डॉन के सामने दुविधा यह है कि मोदी सरकार के मंत्री बिकाऊ नहीं हैं, क्योंकि वे एक शक्तिशाली प्रधानमंत्री के अधीन है, जो कटपुतली नहीं है, मंत्रियों के आचरण पर उनकी कड़ी नज़र रहती है।
डॉन के यूपीए सरकार के मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों के साथ मधुर संबंध थें, जिसके कारण उसने अपना व्यवसाय दस सालों में काफी फैलाया। किन्तु अब कारोबार के खतरे को देख कर इसने पाकिस्तानी सेना और isi जो इसकी सरंक्षक है, के साथ मिल कर भारत में अपने धनबल से ऐसे कइ लोगों को देशद्रोही बना दिया है, जो मोदी सरकार के विरुद्ध षड़यंत्र रच रहे हैं, जिन्हें निम्न उदाहरणों से समझा जा सकता है:-
एक: केन्द्र और कर्इ राज्यों में नरेन्द्र मोदी की शानदार जीत के बाद मोदी का प्रभाव कम करने के लिए डॉन ने दिल्ली की अराजक आप पार्टी के मुखिया को मोहरा बनाया। दुबइ बुला कर कोइ गुप्त संधि की। सम्भवत: डॉन ने अपनी काली कमाइ से इसे मालामाल कर दिया। तभी केजरीवाल ने दिल्ली विधान सभा का चुनाव जीतने के लिए अपने संस्थापक सदस्यों के विरोध के बावजूद गुंड़ो और लफंगो टिकिट दिये। एक -एक सीट पर करोड़ो रुपये लगा कर ऐसी जीत दर्ज की कि भार्इ खुश हो गया। अब यह देशद्रोही उन प्रदेशों मेंषड़यंत्र रच रहा है, जहां भाजपा की सरकारे है। गुजरात में पटेल आंदोलन के बाद दलित आंदोलन इस देशद्रोही के दिमाग की उपज है। डॉन की शह पर भारत की राजनीति को अराजक बनाने के उद्धेश्य में उसे निरन्तर सफलता मिल रही है।
दो: मोदी सरकार को मुस्लिम विरोधी साबित करने के लिए टीवी चेनलो के साथ मिल कर देश भर में घटित हो रही छोटी छोटी घटना को अतिरंजित रंग दे कर उसे फैलाया, ताकि मोदी सरकार को दुनिया भर में असहिष्णु साबित किया जा सके। असहिष्णुता अभियान भी उसीषड़यंत्र का एक भाग है जिसमें उन राजनीतिक दलों, साहित्यकारों, फिल्म कलाकारों को जोड़ा गया, जो किसी न किसी तरह डॉन के साम्राज्य से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से जुड़े हुए थे। दुर्भाग्य से भारत की एक बड़ी राजनीति पार्टी भी खोये हुए प्रभाव को पुन: पाने के लिए डॉन के अभियान में शामिल हो गर्इ। दरअसल असहिष्णुता का मुद्धा दिल्ली के बाद बिहार में भाजपा को हराने और नरेन्द्र मोदी के प्रभाव को कम करने के लिए जानबूझ कर उछाला गया था, जो बिहार चुनाव सम्पन्न होने के बाद समाप्त हो गया।
तीन: एक आंतकी की फांसी रुकवाने के लिए जिन लोगों ने आधी रात को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, उनमें अधिकांश केजरीवाल गैंग के नेता, पत्रकार व वामपंथी थे, जो डॉन के पैसे से भारत में रह कर देशद्रोह को हवा दे रहे हैं। राष्ट्रपति को सौंपी गर्इ माफी याचना की सूची में इन सभी देशद्रोहियों के नाम है, जो इनके देशद्रोही होने का प्रमाण है। इन लोगों के व्यापक प्रचार के कारण ही एक गुनहगार के जनाजें में हजारों की भीड़ एकत्रित हुर्इ थी।
चार:: भारत में रह कर भारत के टूकड़े-टूकड़े करने की कसमें खाने वाले लोग, जो कश्मीर की आज़ादी तक जंग जारी रखना चाहते हैं, क्योंकि उन्हें केजरीवाल जैसे देशद्रोही नेता और बिकाऊ पत्रकारों का समर्थन प्राप्त है। जेएनयू प्रकरण के तुरन्त बाद केजरीवाल और राहुल दौड़ कर देश के गद्दारों का समर्थन करने वहां पहुंचे। जेएानयू घटनाक्रम को उन पत्रकारों ने खूब हवा दी, जो भारत में रह कर पाकिस्तान से सहानुभूति रखते हैं। जेएनयू प्रकरण देशद्रोह की पराकाष्ठा है। इस नाटक को खेलने वाले सारे चरित्र नंगे हो गये हैं, किन्तु इन्हें शर्म नहीं आती,क्योंकि भारत में बोलने और लिखने की आज़ादी है, इसलिए मोदी सरकार के विरोध के बहाने देशद्रोही होने की भी इन्हें छूुट मिली हुर्इ है। उन्हें यह भ्रम है कि मोदी दालों की महंगार्इ रोक नहीं पाये, इसलिए भारत की जनता उनके देशद्रोह को क्षमादान दे रही है।
पांच::पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित कश्मीर त्रासदी -राष्ट्रीय संकट है, जिसमें सारे राजनीतिक दलों को अपने मतभेद भूला कर सरकार के साथ खड़ा होना चाहिये। भारतीय सेना के साहस और उनके बलिदान के समक्ष नतमस्तक होना चाहिये, किन्तु बिके हुए पत्रकार, केजरीवाल और राहुल जैसे नेता देशद्रोहियों के साथ खड़े हैं। घायल सैनिकों से मिलने नहीं जाते। सैनिकों पर पत्थर फैंकने वालों की सहानुभूति अर्जित करने उनसे मिलने जा रहे हैं। इन गद्दारों की आंखों से तब आंसू नहीं आते जब सेना का जवान शहीद होता है। ये तब रोते हैं जब एक आतंकी मरता है।
छ: ये देशद्रोही कितने दोगले, झूठे और प्रपंची है इसका प्रमाण केरल की वह घटना है, जिसमें एक दलित युवती के घर में धुस कर उसके साथ बलात्कार किया और उसकी निर्मम हत्या कर दी। घटना के चार महीने बाद भी पुलिस अपराधियों को नहीं पकड़ पार्इ, क्योंकि वे उस समुदाय के थे, जिन्हें भारत की धर्मनिरपेक्ष बिरादरी ने अपराध करने की छूट दे दी है। इस घटना के बाद न तो केजरीवाल वहां गये और नहीं राहुल ने संसद में हंगामा मचाया। न मायावती आंखों से आंसू छलके।
अभी हाल ही में बुलंद शहर में एक गैंग ने मां- बेटी के साथ एक बलात्कार किया है। घटना पर केजरीवाल को दुख नहीं हुआ। यह घटना भी दलित परिवार से संबंधित है, पर केजरीवाल छुट्टी मनाने कहीं चले गये और राहुल चुप्पी साधे हुए हैं। न कोर्इ ट्वीट न कोहराम। बाल की खाल खींचने वाले देशद्रोही पत्रकार भी मौन है, क्योंकि जिस धटना से मोदी सरकार को बदनाम नहीं किया जा सकता, वह उनके लिए महत्वहीन है।
पंजाब और उत्तर प्रदेश का चुनाव होने तक देशद्रोही तत्व धन बल से प्रायोजित दलित उत्पीड़न का अभियान चलायेंगे। असिहष्णुता को हवा देंगे। मोदी सरकार को घेरने के लिए टीवी चेनल भी खूब शोर मचायेंगे। यह तब तक चलता रहेगा जब तक इस देश की जनता देशद्रोहियों को सबक सीखाने के लिए आगे नहीं आयेगी। सरकार हमारी है, इसे हमने चुना है। प्रधानमंत्री हमारा हैं। इस सरकार को और प्रधानमंत्री को चुनने और हटाने का अधिकार जनता को है। यदि देशद्रोही किसी चुनी हुर्इ सरकार को हटाने में लग जायेंगे, तो देश की सम्प्रभुता खतरे में पड़ जायेगी। हमे किसी भी हालत में देशद्रोही तत्वों को प्रोत्साहित नहीं करना चाहिये, क्योंकि जो लोग अपने मतलब के लिए देश के साथ गद्दारी कर रहे हैं, वे हमारे कभी नहीं हो सकते।
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