1. कुरान के अनुसार अल्लाह सबसे बड़ा मुशरिक है !
इस्लाम की मान्यताएं अन्तर्विरोध से भरी पड़ हैं। फिर भी इन मान्यताओं के आधार पर इस्लाम सभी गैर मुस्लिमों को पापी और अपराधी मानकर क़त्ल के योग्य समझता है। क्योंकि इस्लाम की नजर में, हत्या, बलात्कार, चोरी, जनसंहार जैसे अपराध छोटे और क्षमा योग्य है। परन्तु “शिर्क” को सबसे बड़ा और ऐसा अपराध माना गया है, जिसे कभी माफ़ नहीं किया जा सकता है। लेकिन बड़ी विचित्र बात है कि रसूल (मुहम्मद ) ने हदीसों में जिस कार्य को शिर्क और महापाप बताया है। और उसी कार्य को अल्लाह बार बार करता है। इस विषय को स्पष्ट करने के लिए हमें शिर्क की परिभाषा समझना जरुरी है, कुरान के हिंदी अनुवाद के अंत में जो “पारिभाषिक शब्दावली “ दी है उसमे “शिर्क ” की व्याख्या दी गयी है, हिंदी कुरान पारिभाषिक शब्द शिर्क पेज 1245.मकतबा.अल हसनात रामपुर
शिर्क क्या है ?
इस्लामी परिभाषा में अल्लाह की सत्ता में किसी को शामिल करना (To associate anyone with Allah Taala) शिर्क شرك कहा जाता है। शिर्क को बहुदेववाद(Polytheism) का पर्याय माना जाता है। जो एक अक्षम्य अपराध है। और शिर्क करने वालों को अरबी बहुवचन में ” मुश्रिकून مشركون” कहा जाता है। कुरान के अनुसार जो भी व्यक्ति मुशरिक रहते हुए मर जायेगा, वह सदा के लिए जहन्नम की आग में जलता रहेगा। हदीसों में शिर्क के कई रूप बताये गए हैं। यहांतक अल्लाह के अतिरिक्त किसी और के नाम पर कसम (Swearig ) खाना या सौगंध ( Oath ) लेना भी शिर्क माना गया है। अरब के मुसलमान बात बात पर अपने बाप दादा और काबा की कसम खाया करते थे।
“उमर ने कहा कि कुरैश के लोग अकसर अपने बाप दादाओं की कसम खाया करते थे, रसूल ने उनको सिर्फ अल्लाह की कसम खाने को कहा। जो भी अल्लाह के सिवा अपने बाप दादा की कसम खाता है, वह मुशरिक है। बुखारी -जिल्द 5 किताब 58 हदीस 177”
“सअद इब्न उदैबा ने कहा कि एक व्यक्ति ने उमर सामने कहा “काबा की कसम ” उमर यह बात रसूल को बताई तो रसूल बोले, जो भी व्यक्ति अल्लाह के अलावा किसी और चीज की कसम खाता है, वह मुशरिक है।
عَنْ سَعْدِ بْنِ عُبَيْدَةَ قَالَ سَمِعَ ابْنُ عُمَرَ رَجُلًا يَحْلِفُ لَا وَالْكَعْبَةِ فَقَالَ لَهُ ابْنُ عُمَرَ إِنِّي سَمِعْتُ رَسُولَ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ يَقُولُ مَنْ حَلَفَ بِغَيْرِ اللَّهِ فَقَدْ أَشْرَكَ “ सुन्नन अबी दाऊद -किताब 21 हदीस 2151 ( इस हदीस में “हलफ حَلَفَ” शब्द आया है। जिसका अर्थ शपथ Swear होता है )
मुहम्मद साहब ने बाप दादा और काबा की कसम खाने को शिर्क बताया। और सिर्फ अल्लाह के नाम की कसम खाने का हुक्म दिया। जैसा इन हदीसों में कहा गया है।
“अब्दुल्लाह ने कहा कि रसूल ने कहा है कि सिर्फ अल्लाह की कसम खाया करो। और अल्लाह के सिवा किसी की कसम खाना शिर्क है” बुखारी -जिल्द 3 किताब 48 हदीस 844
इन हदीसों से सिद्ध होता है कि अल्लाह के अतिरिक्त किसी की कसम खाना शिर्क है, चाहे कोई अल्लाह के घर काबा की कसम भी खाए वह मुशरिक माना जायेगा, और मर कर जहन्नम जायेगा।
लेकिन जब कुरान में अनेकों बार खुद अल्लाह ही ऐसी चीजों की कसमें खाता है, जिनकी कसमें खाना हदीसों में शिर्क बताया गया, तो इस्लाम के शिर्क की परिभाषा में शंका होती है, कुरान से ऐसे कुछ सबूत दिए जा रहे हैं। अक्सर देखा गया है कि जब किसी के पास कोई पुख्ता प्रमाण नहीं होते, तो वह अपनी सत्यता साबित करने के लिए कसम खाता है। इसीलिए अल्लाह ने अपनी बातों सही साबित करने के लिए हर चीज की कसमें खा डाली हैं, जिनके कुछ नमूने देखिये।
लेकिन जब कुरान में अनेकों बार खुद अल्लाह ही ऐसी चीजों की कसमें खाता है, जिनकी कसमें खाना हदीसों में शिर्क बताया गया, तो इस्लाम के शिर्क की परिभाषा में शंका होती है, कुरान से ऐसे कुछ सबूत दिए जा रहे हैं। अक्सर देखा गया है कि जब किसी के पास कोई पुख्ता प्रमाण नहीं होते, तो वह अपनी सत्यता साबित करने के लिए कसम खाता है। इसीलिए अल्लाह ने अपनी बातों सही साबित करने के लिए हर चीज की कसमें खा डाली हैं, जिनके कुछ नमूने देखिये।
1. चाँद की कसम
कसम है चाँद की “सूरा -मुदस्सिर -74:32
कसम है चाँद की, जब वह छुप जाये “सूरा -शम्श 91:2
2. रात की कसम
कसम है रात की जब वह पूरी तरह से छा जाये “सूरा -लैल 92:1
3. देखी अनदेखी चीजों की कसम
इस आयत से साफ सिद्ध होता है कि मुसलमानों का अल्लाह सर्वद्रष्टा नहीं बल्कि कोई अरबी व्यक्ति था, वर्ना वह ऐसी कसम नहीं खाता,
मैं खाता हूँ उन चीजों की, जो दिखाई देती है, और उन चीजों की भी कसम खाता हूँ जो दिखाई नहीं देती “सूरा -हक्का 68:38-39
4. कुरान की कसम
जब मुसलमान कुरान की आयतों को अल्लाह के वचन कहते हैं तो अल्लाह को खुद अपनी कही बातों की कसम खाने की क्या जरुरत पड़ गई, जो ऐसी कसम खा डाली।
कसम है इस नसीहत भरे कुरान की” सूरा -साद 38:1
कसम है कुरान मजीद की “सूरा -काफ -50:1
कसम है इस लिखी हुई किताब की “सूरा -अत तूर -52:2
5. कलम की कसम
मुसलमानों का दावा है कि मुहम्मद अनपढ़ थे, उन्हें संबोधित करके अल्लाह के कलम की कसम क्यों खायी, और यह क्यों कहा
कसम है उस कलम की, जिस से तुम (कुरान) लिखते हो सूरा-कलम 68:1
(चूँकि अल्लाह ने मुहम्मद को संबोधित करके यह कसम खायी है, इस से सिद्ध होता है मुहम्मद अनपढ़ नहीं थे, वह लिख पढ़ सकते थे)
6. मुहम्मद के जीवन की कसम
अगर मुहम्मद सचमुच अल्लाह के प्यारे रसूल थे, तो अल्लाह ने खुद अपनी कसम क्यों नहीं खायी, “हे मुहम्मद तेरे जीवन की कसम है “सूरा -अल हिज्र 15:72
7. मक्का की कसम
इस्लाम के परस्पर विरोधी नियमों का इस से बड़ा प्रमाण और कौन हो सकता कि एक तरफ रसूल काबा की कसम खाने को भी शिर्क बताता है। और दूसरी तरफ खुद अल्लाह मक्का जैसे उजाड़ वीरान शहर की कसम खा रहा है, और कहता है
“नहीं ! मैं उस नगर (मक्का ) की कसम खाता हूँ, तू ( मुहम्मद ) जिस नगर में रहता है ” सूरा -अल बलद 90:1-2
“لَا أُقْسِمُ بِهَٰذَا الْبَلَدِ ”90:1
“لَا أُقْسِمُ بِهَٰذَا الْبَلَدِ ”90:1
“وَأَنْتَ حِلٌّ بِهَٰذَا الْبَلَدِ ”90:2
( इस आयत की तफ़सीर में बताया है कि, मक्का नगर नगर की भूमि बंजर और अनउपजाऊ है, और न वहां पशुओं को चराने के लिए हरे भरे मैदान हैं। इसलिए मक्का के इन्हीं गुणों कारण अल्लाह ने मक्का नगर की कसम खायी है।)
अल्लाह के द्वारा खायी गयी कसमों के बारे में पूरे जानकारी के लिए देखिये यह विडियो
http://www। answeringmuslims। com/2011/10/does-allah-commit-shirk। html
http://www। answeringmuslims। com/2011/10/does-allah-commit-shirk। html
हम मुसलमानों से पूछना चाहते हैं, जो शिर्क की अंतरविरोधी, बेतुकी परिभाषा के आधार पर हिन्दू और ईसाइयों को मुशरिक बताकर उन पर जिहाद करते हैं। प्रश्न यह है कि हदीस और कुरान के इन सबूतों के आधार पर अल्लाह सबसे बड़ा मुशरिक क्यों नहीं? यातो हदीस झूठी है या कुरान झूठी है ?
(साभार http://hindurashtra.wordpress.com/2013/01/05/417/)
इस्लाम में कुरान के बाद हदीसों को ही प्रमाण माना जाता है, क्योंकि उनमें मुहम्मद साहब के कथन संग्रहित हैं। अधिकांश इस्लामी देशों में उन्हीं के आधार पर कानून भी बनाये गए हैं। लेकिन कुरान की तरह हदीसों में भी परस्पर विरोधी बातों की भरमार है। जहाँ एक हदीस किसी काम को गुण, या अच्छा काम बताती है, तो ऐसी कई हदीसें मिल जाती हैं, जो उस से उलटा काम करने का हुक्म देती हैं। उदाहरण के लिए पिछले महीने एक इस्लामी ब्लॉग पढ़ा, जिसमे यह साबित करने की कोशिश की गयी थी। सेकुलरों की जमात बड़े जोर शोर से दावे करती है कि इस्लाम सभी प्राणियों पर दया करने की शिक्षा देता है, और अल्लाह जानवरों पर दया करने वालों के सभी गुनाह माफ़ कर देता है, और इसी बात को साबित करने के लिए निम्नवत हदीस दी जाती है।
![]() |
मिस्र में मुसलमानों के द्वारा जहरीली गैस से मारे गए कुत्ते |
1-कुत्ते की सेवा से जन्नत
“अबू हुरैरा ने कहा कि रसूल ने कहा है, एकबार बनी इजराइल के कबीले की एक वेश्या ने देखा कि एक कुत्ता कुएं के आसपास मंडरा रहा है। गर्मी के दिन थे, इसलिए कुत्ता प्यास के मारे अपनी जीभ निकाल कर हांफ रहा था। यह देख कर उस वेश्या ने अपनी जूती से पानी भर कर उस कुत्ते को पिला दिया। और उसके इस काम के लिए अल्लाह ने उस वेश्या के सभी गुनाह माफ़ कर दिए
“
عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ عَنْ النَّبِيِّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ أَنَّ امْرَأَةً بَغِيًّا رَأَتْ كَلْبًا فِي يَوْمٍ حَارٍّ يُطِيفُ بِبِئْرٍ قَدْ أَدْلَعَ لِسَانَهُ مِنْ الْعَطَشِ فَنَزَعَتْ لَهُ بِمُوقِهَا فَغُفِرَ لَهَا
قَالَ رَسُولُ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ بَيْنَمَا كَلْبٌ يُطِيفُ بِرَكِيَّةٍ قَدْ كَادَ يَقْتُلُهُ الْعَطَشُ إِذْ رَأَتْهُ بَغِيٌّ مِنْ بَغَايَا بَنِي إِسْرَائِيلَ فَنَزَعَتْ مُوقَهَا فَاسْتَقَتْ لَهُ بِهِ فَسَقَتْهُ إِيَّاهُ فَغُفِرَ لَهَا بِهِ
सही मुस्लिम -किताब 26 हदीस 5578
عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ عَنْ النَّبِيِّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ أَنَّ امْرَأَةً بَغِيًّا رَأَتْ كَلْبًا فِي يَوْمٍ حَارٍّ يُطِيفُ بِبِئْرٍ قَدْ أَدْلَعَ لِسَانَهُ مِنْ الْعَطَشِ فَنَزَعَتْ لَهُ بِمُوقِهَا فَغُفِرَ لَهَا
قَالَ رَسُولُ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ بَيْنَمَا كَلْبٌ يُطِيفُ بِرَكِيَّةٍ قَدْ كَادَ يَقْتُلُهُ الْعَطَشُ إِذْ رَأَتْهُ بَغِيٌّ مِنْ بَغَايَا بَنِي إِسْرَائِيلَ فَنَزَعَتْ مُوقَهَا فَاسْتَقَتْ لَهُ بِهِ فَسَقَتْهُ إِيَّاهُ فَغُفِرَ لَهَا بِهِ
सही मुस्लिम -किताब 26 हदीस 5578
( 2245 صحيح مسلم كتاب السلام باب فضل سقي البهائم المحترمة وإطعامها )
जहाँ जानवरों (कुत्तों) पर दया करने सम्बंधित एक ही हदीस मिलती है तो दूसरी तरफ कुत्तों को मारने का आदेश देने वाली हदीस की सभी किताबों में कुल 98 हदीसें मौजूद है (बुखारी -79, मुस्लिम 11, दाऊद 2 और मुवत्ता 6)। निम्नलिखितहदीसें जानवरों की हत्या करने और उनपर क्रूरता करने का हुक्म देती है।
1- ”अब्दुल्लाह इब्न उमर ने कहा कि रसूल का आदेश है कि सभी कुत्तों को मार दिया करो ” बुखारी -जिल्द 4 किताब 54 हदीस540
2-”अब्दुल्लाह बिन मुगाफ्फल ने कहा कि हमें रसूल ने आदेश दिया कि मदीना में और उसके आसपास के गाँव में जितने भी कुत्ते मिलें उनको मार डालो” अबू दाऊद – किताब 10 हदीस 3814
3- ” इब्न मुगफ्फल ने कहा कि रसूल का आदेश है,कि तुम्हें जहाँ भी कुत्ते दिखाई दें, उनको फ़ौरन मारडाला करो” सही मुस्लिम -किताब 2 हदीस 551
4- ”अबू जुबैर को अब्दुल्लाह ने बताया कि जब रसूल ने हम लोगों को कुत्ते मारने के लिए भेजा, तो हमने देखा कि रेगितान में एक बुद्धू औरत ने एक कुत्ते का पिल्ला पाला हुआ है जो उस औरत के पास ही खेल रहा था। हमने वह पिल्ला औरत से छीन कर वहीँ पर पटक कर मार दिया ” सही मुस्लिम -किताब 10 हदीस 3813
3- ” इब्न मुगफ्फल ने कहा कि रसूल का आदेश है,कि तुम्हें जहाँ भी कुत्ते दिखाई दें, उनको फ़ौरन मारडाला करो” सही मुस्लिम -किताब 2 हदीस 551
4- ”अबू जुबैर को अब्दुल्लाह ने बताया कि जब रसूल ने हम लोगों को कुत्ते मारने के लिए भेजा, तो हमने देखा कि रेगितान में एक बुद्धू औरत ने एक कुत्ते का पिल्ला पाला हुआ है जो उस औरत के पास ही खेल रहा था। हमने वह पिल्ला औरत से छीन कर वहीँ पर पटक कर मार दिया ” सही मुस्लिम -किताब 10 हदीस 3813
कुत्ताशत्रु होने का कारण
जो मुहम्मद साहब एक वेश्या द्वारा प्यासे कुत्ते को पानी पिलाने पर की गयी दया के कारण उसके सभी गुनाह माफ़ होने की हदीस कह चुके थे, वही मुहम्मद कुत्तों के प्रति इतने निर्दयी क्यों बन गए कि उन्होंने मुसलमानों को सभी कुत्तों को मारने का आदेश दे दिया, इस रहस्य का भेद कुरान की इस आयत में छुपा हुआ है, जो इस प्रकार है,
“वे पूछते हैं कि उनके लिए वैध क्या है, तो कह दो, कि जानवरों को तुमने प्रशिक्षित किया है, वे शिकार को पकडे रहें, और तुम उसे खा जाओ, अल्लाह जल्द हिसाब करने वाला है “
{ يَسْأَلُونَكَ مَاذَآ أُحِلَّ لَهُمْ قُلْ أُحِلَّ لَكُمُ ٱلطَّيِّبَاتُ وَمَا عَلَّمْتُمْ مِّنَ ٱلْجَوَارِحِ مُكَلِّبِينَ تُعَلِّمُونَهُنَّ مِمَّا عَلَّمَكُمُ ٱللَّهُ فَكُلُواْ مِمَّآ أَمْسَكْنَ عَلَيْكُمْ وَٱذْكُرُواْ ٱسْمَ ٱللَّهِ عَلَيْهِ وَٱتَّقُواْ ٱللَّهَ إِنَّ ٱللَّهَ سَرِيعُ ٱلْحِسَابِ } ”
सूरा -मायदा 5:4
{ يَسْأَلُونَكَ مَاذَآ أُحِلَّ لَهُمْ قُلْ أُحِلَّ لَكُمُ ٱلطَّيِّبَاتُ وَمَا عَلَّمْتُمْ مِّنَ ٱلْجَوَارِحِ مُكَلِّبِينَ تُعَلِّمُونَهُنَّ مِمَّا عَلَّمَكُمُ ٱللَّهُ فَكُلُواْ مِمَّآ أَمْسَكْنَ عَلَيْكُمْ وَٱذْكُرُواْ ٱسْمَ ٱللَّهِ عَلَيْهِ وَٱتَّقُواْ ٱللَّهَ إِنَّ ٱللَّهَ سَرِيعُ ٱلْحِسَابِ } ”
सूरा -मायदा 5:4
कुरान की इसी आयत की व्याख्या और उसके उतरने का कारण ( Reasons for the descent) समझाते हुए ” अली इब्न अहमद अल वाहिदी “علي ابن احمد الواحدي ” (d. 468/1075), अपनी किताब ” असबाबे नुजूल- أسباب نزول” में लिखा है कि अल हकीम अब्दुल्लाह ने कहा है कि इस आयत के बाद कुरान की नयी आयतें अचानक बंद हो गयी थीं, जब अबू रफ़ी ने रसूल से पूछा कि कुरान की नयी आयतें आना क्यों बंद हो गयीं, तो रसूल ने कहा जिब्रइल ने मुझसे मिलने का वादा किया था। वह कुरान की आयतें देने वाला था। परन्तु उसने कहा फ़रिश्ते कुत्तों से इतना डरते है कि अगर किसी के घर में कुत्ते की तस्वीर भी हो तो फ़रिश्ते उस घर में नहीं घुसते, इसी लिए मैं दो बार आपके घर के दरवाजे से ही लौट गया। अबू रफ़ी ने कहा कि रसूल ने कहा जिब्रईल की यह बात सुनते ही मैंने अपने घर की ठीक से तलाशी ली, तो देखा कि एक अँधेरे कोने में छोटा सा कुत्ते का पिल्ला सो रहा था। और मैंने तुरंत उस पिल्ले को मार डाला। इसके बाद मैंने शहर के सभी कुत्तों को मारने का आदेश दे दिया। और सभी कुत्ते मारे गए तो अल्लाह का भेजा हुआ फ़रिश्ता जिब्रईल निडर होकर कुरान की आयतें भेजने लगा।
सब लोग जानते हैं कि मुहम्मद साहब का जन्म सऊदी अरब के मक्का में हुआ था। और आजकल सऊदी अरब में इस्लामी बादशाही(Islamic Monarchy) चल रही है, लेकिन बहुत कम लोग जानते होंगे कि सऊदी अरब में धार्मिक पुलिस (Religious Police) भी है। जिसे “मुतवईअह ” mutawwiyyah(مطوعية ( कहा जाता है, और इसका बहुवचन ”मुतवईन ” mutaween (Arabic: المطوعين، ”होता है। और सऊदी अरब की इस धार्मिक पुलिस का काम कुत्ते मारना भी है। और सऊदी अरब के बादशाह ने पुलिस को एक अध्यादेश जारी कर रखा है कि लाल समुद्र की सीमा से आगे मक्का मदीना सहित पूरे अरब में जहाँ भी कुत्ते मिलें, उनको पटक पटक कर वहीँ मार दिया जाए।
दूसरी तरफ भगवान कृष्ण भगवत गीता में मनुष्य सहित प्राणीमात्र पर समान दृष्टि से देखने का उपदेश देते है, जैसा इस श्लोक में कहा है,
विद्याविनयसम्पन्ने ब्राह्मणे गवि हस्तिनि।शुनि चैव श्वपाके च पण्डिताः समदर्शिनः ॥5:18जो ज्ञानी को एक सा नजर आय हाथी, कुत्ता या कोई गाय
तो दूसरी तरफ मुहम्मद साहब का राक्षसी आदेश है, जिसके कारण हजारों कुत्ते मारे जाते, जबकि अब न तो मुहम्मद साहब जिन्दा हैं, और न फ़रिश्ता कुरान की आयतें लेकर आने वाला है।
इन तथ्यों से प्रमाणित होता है, जिस तरह इस्लाम में जीवदया की बातें केवल पाखंड और धोखा है उसी तरह शांति और भाईचारे की बातें झूठ और पाखंड के सिवा कुछ नहीं हैं,
इसलिए मुसलमानों और उनके इस्लाम पर विश्वास करना मुर्खता होगी।
इसलिए मुसलमानों और उनके इस्लाम पर विश्वास करना मुर्खता होगी।
भाइयों, इस्लाम छोड़ हिंदुत्व में लौट आओ और कुतों पर रहम करो, वे बेचारे वेजुबान भी चैन की साँस लेंगे।
3. कुरान सम्पूर्ण नहीं, अधूरी है
दुनिया में कई मुस्लिम देश हैं जहां पर शरीयत का कानून चलता है। और इस कानून के आधार पर दोषियों को अमानवीय और क्रूर सजाएं दी जाती हैं। व्यभिचार के दोषियों को पत्थर मार कर ह्त्या की जाती है। इसे अरबी में रज्म الرجم या “Stoning to Death” भी कहा जाता है।।
वैसे तो मुसलमान दावा करते हैं कि वह हरेक काम कुरान के आदेशों के अनुसार करते है। और केवल कुरआन के आदेशों को ही महत्त्व देते हैं, किसी और के आदेश को नहीं मानते।
कुरान में “रज्म” के बारें में एक भी आयात नहीं मिलती है। और नाही रज्म का कहीं उल्लेख है। यह मुल्लों के दिमाग की उपज है। क्योंकि मुसलमान व्यभिचार में हमेशा औरतों को दोषी ठहराते है। इस्लाम एकमात्र कुधर्म है, जो बलात्कार को जायज और व्यभिचार के झूठे आरोप पर भी कठोर सजा देता है।
कुरान में रज्म की आयतें (आदेश) न होने के निम्न कारण है -
1 -कुरान सम्पूर्ण(Complete) नहीं है –
शिया लोगों का विश्वास है मौजूदा कुरान पूरा नहीं है, इसमें रद्दोबदल किया गया है। कई सूरा और आयतें कम कर दी गयी, और बदल दी गयी हैं। मुहम्मद साहब के वंशज इमाम जाफर सादिक ने अपनी किताब “उसूले काफी” में जो लिखा है इस प्रकार है। यह शिया लोगों की हदीस है -
“इमाम जफ़र सादिक ने कहा कि जिब्राइल ने रसूल को जो कुरान दी थी, उसमे 17000 आयतें थीं। और मौजूद कुरान में सिर्फ 6666 हैं।
उसूले काफी -पेज 671″।
“इमाम जफ़र ने कहा कि, रसूल के इंतकाल के बाद खलीफा उस्मान और अबू बकर ने कुरान में कमोवेशी कर दी थी। और कुरान का दो तिहाई हिस्सा गायब कर दिया था। – उसूले काफी -फासले ख़िताब। पेज 70″।
2 – कुरआन का संकलन –
पूरा कुरान 23 सालों में थोडा-थोडा जमा होता गया था। जिसे मुहम्मद साहब अपने लेखक “कातिबكاتب” या Scribner से लिखवा लेता था मुहमद साहब के लेखक का नाम “जैदबिन साबित زيد بن ثابت था। जो कुरान के हिस्सों को पत्तों, झिल्लिओं, चमड़े, और कागजों पर लिख लेता था। कभी मुहम्मद साहब अपने दामाद अली से लिखवा लेते थे। कुरान की एक मूल प्रति मुहम्मद साहब अपनी पुत्री ‘फातिमा’ के घर रख देते थे। इस कुरान को शिया लोग असली कुरान या ”मुसहफ़ ए फातिमा مصحف فاطمه कहते हैं।यही असली कुरान था। और मौजूद कुरान से तीन गुना बड़ा था।
मौजूदा कुरान में 114 सूराChapters, 6666 आयतें Verses और 77934 शब्द हैं। और अरबी के कुल 323671 अक्षर हैं।
3 – मुहम्मद साहब भूल जाते थे –
“जिद बिन साबित ने कहा कि, जिस समय कुरान की आयतें जमा की जा रही थी, तो रसूल सूरा अहजाब 33 की आयतें भूल गए थे। जो लिखने से रह गयी।” बुखारी -जिल्द 4 किताब 52 हदीस 60
“इब्राहिम ने कहा की रसूल को सारी आयतें याद नहीं थीं, वह भूल जाते जाते थे।” बुखारी -जिल्द 6 किताब 60 हदीस 468
“आयशा ने कहा कि रसूल की याददाश्त कमजोर थी। वह सौ आयातों से साठ आयतें भूल जाते थे। उनको एक आदमी बताता था कि कौन सी आयत किस जगह होनी चाहिए।” बुखारी -जिल्द 6 किताब 61 हदीस 558
मुहम्मद ने यहूदियों की किताबों में देखा था कि तौरेत में व्यभिचार की सजा “रज्म” लिखी है। इसलिए वह कुरआन में भी यही लिखवाना चाहता था। यह बात हदीसों से साबित होती है -
4 -रज्म की सजा तौरेत (बाइबिल) में है –
“उमर ने कहा कि रसूल ने रज्म की आयत तौरेत में देखी थी। क्योंकि व्यभिचार की सजा तौरेत में रज्म लिखी है” बुखारी -जिल्द 8 किताब 82 हदीस 809
बाइबिल में रज्म के बारे में यह लिखा है -
“यदि कोई व्यभिचार करे, या दूसरे कि स्त्री के साथ सोये, तो वह स्त्री और पुरुष दोनों को पत्थर मार कर मार डाला जाये। और नगर के बाहर के फाटक के पास उन पर पत्थरवाह किया जाये” व्यवस्था 22 आयत 21 से 23
“व्यभिचारी और व्यभिचारिणी निश्चय मारे जाएँ” पुराना नियम – लेवी 20 :10
5 – मुहम्मद ने रज्म की आयतें बनायी थीं –
“आयशा ने कहा कि रसूल ने रज्म यानी पत्थर से मरने की सजा की आयातों को एक कागज के तुकडे पर लिखवा कर रख ली थी। वह इन आयातों को “रजः कबीरः” कहते थे। और कुरान में जुड़वाना चाहते थे” - बुखारी -जिल्द 6 किताब 60 हदीस 285
“इब्ने अब्बास ने कहा कि, रसूल चाहते थे कि, जिना करने वालों को “रज्म” की सजा देना उचित होगा। और वह इन आयातों को कुरान में शामिल कराना चाहते थे” - बुखारी -जिल्द 6 किताब 61 हदीस 514
“उमर बिन खत्ताब ने कहा कि, रसूल चाहते थे कि, कुरान में रज्म की वह आयतें जोड़ दी जाएँ, जो उन्होंने तौरेत (bible old testament) में देखी थीं” - बुखारी -जिल्द 8 किताब 86 हदीस 9 और बुखारी -जिल्द 4 किताब 82 हदीस 820
6 – रज्म की आयतें खो गयीं –
“आयशा ने कबूल किया कि रज्म की जो आयतें थी, वह मेरी गलती से खो गयी थी। और उसके साथ दूसरी आयतें भी थीं जो खो गयी थी” - बुखारी -जिल्द 8 किताब 52 हदीस 299
“सौदा ने कहा कि रज्म कि आयतें खो गयी थी, और खोजने पर भी नहीं मिली” - बुखारी -जिल्द 3 किताब 34 हदीस 421
“इकरिमा ने कहा कि रज्म की आयतें कुरान में जुड़वाने के लिए रसूल ने एक कागज पर लिखवा कर रखी थी, लेकिन बाद में वह आयतें खो गयी” - बुखारी -जिल्द 9 किताब 93 हदीस 613
“आयशा ने कहा कि, रज्म की आयतें और आयत ऱजअत दौनों आयतें लिखी गयी थी लेकिन वह खो गयी थी” - बुखारी-जिल्द 8 किताब 82 हदीस 824
“खुजैमा ने कहा की जब कुरआन को जमा किया जा रहा था, तो रज्म की आयतिं को लिखने पर ध्यान नहीं रखा गया और वह आयतें कुरान में शामिल नहीं हो सकीं” - बुखारी -जिल्द 4 किताब 56 हदीस 829
“अम्र बिन मैमून ने कहा कि जब उमर कुरआन की आयातों को जमा कर रहे थे, तो लोगों से बोले कि ऐसा लगता है क़ि कुरान की कुछ आयतें खो गयी हैं, या गायब हो गयी हैं” बुखारी- जिल्द 6 किताब 61 हदीस 529
“साद बिन अबी वक्कास ने कहा क़ि आयशा ने कहा क़ि जब रसूल ने अपना कुरता उतारा तो उसकी बाँहों से रज्म क़ि आयतें गिर गयी थीं और मैंने धयान नहीं रखा” - बुखारी -जिल्द 2 किताब 23 हदीस 413
7 – आयतें कहाँ गयीं –
“अल तबरी ने कहा के, कुरान की सूरा अहजाब (सूरा संख्या 33) आयत 23 के बाद की और आयतें भी थीं जो खो गयीं, और खोजने पर भी नहीं मिलीं” - बुखारी – जिल्द 4 किताब 52 हदीस 62
“ज़ैद बिन साबित ने कहा क़ि, जब मैं कुरान की सभी आयतें जमा कर रहा था, तो कुरान की सूर अहजाब की बहुत सी आयतें नहीं मिली। वह खो गयी थी” - बुखारी -जिल्द 4 किताब 52 हदीस 52 हदीस 60
8 – बकरी कुरआन खा गयी –
“सौदा (मुहम्मद की पत्नी) ने कहा कि रज्म की आयातों के साथ जितनी भी आयतें कागजों पर (पत्तों) पर लिखी रही थीं, वह नहीं मिली। पता चला कि वह आयतें दो बकरियों ने खा लीं थीं, जो अचानक घर में आ गयी थीं” - बुखारी – जिल्द 3 किताब 34 हदीस 421
“आयशा ने कहा कि, रसूल ने रज्म की आयतों के साथ जो आयतें रखने को दी थीं, उनको मैंने तकिये के नीचे रख दिया था। वह नीचे गिर गयी थीं, उसी वक्त दो बकरियां घर में घुस आयीं और वह आयतें खा गई” - सुन्नन इब्ने माजा – किताब निकाह – हदीस 1934
9 -बकरियां 200 आयतें खा गयीं –
“अनस बिन मालिक ने कहा कि, बकरियां कुरान की 200 आयतें खा गयी थी” - मुस्लिम – किताब 4 हदीस 1337
“बकरियां 200 आयतें खा गयी थीं, जिनमे सुरा अहजाब की रज्म की आयतें भी थी, सूरा अहजाब में सूरा बकरा के बराबर आयतें थीं”
बुखारी -जिल्द 4 किताब 54 हदीस 522
10 -कुरान फिर से लिखा गया –
“अनस बिन मालिक ने कहा कि “हुदैफा बिन यमन” उस्मान के पास गया और बोला कि लोग कुरान को अलग-अलग 6 प्रकार से पढ़ा रहे हैं जिनमें काफी अंतर है। हरेक प्रान्त में कुरान की अपनी-अपनी प्रतियाँ है। जो एक दूसरे से अलग हैं, उस्मान ने जिद बिन साबित, अब्दुल्ला बिन जुबैर, और सईद बिन अल आस से कहा की कुरआन की सभी प्रतियोंको जमा करवाओ। जिसके पास भी कुरान का कोई हिस्सा या आयत मिले मेरे पास लाओ। फिर उस्मान ने आदेश दिया कि कुरान को उसी प्रति के अनुसार कुरेश के कबीले की बोली में दोबारा लिखो। और कुरान में वही आयतें रहने दो, जो हफ्शा (मुहम्मद की पत्नी) की प्रति में हैं। जो रसूल हफ्शा के पास रख देते थे। फिर उस्मान ने कहा क़ि इसके आलावा कुरान के जो भी हिस्से किसी पास मिलें, उनको जला डालो। अनस ने कहा क़ि इसके कारण कुरान की सूरा अहजाब की 215 आयतें कम हो गयी थीं”। — बुखारी -जिल्द 6 किताब 61 हदीस 514
अब मुसलमान जवाब दें कि, जब कुरान में व्यभिचार के दोषियों को पत्थर मार कर ह्त्या करने का (Stoning to Death) आदेश या आयात नहीं है, तो मुस्लिम देश यह सजाएँ क्यों देते है ?
मुहम्मद जैसे ज़ालिम से तो ईसा मसीह कई गुना अच्छे थे। वह भी रसूल थे। उनका इसी विषय पर दिया गया फैसला देखिये -
“यीशु के पास लोग एक स्त्री को लाये जिस पर व्यभिचार का आरोप था। लोगों ने पूछा प्रभु क्या हम इस स्त्री को पत्थर मारें। यीशु ने कहा कि तुम में से पहला पत्थर वह मारे, जिसने जीवन में कोई पाप नहीं किया हो, फिर यीशु ने उस स्त्री से कहा- मैं तुझे सजा दने की आज्ञा नहीं देता। जा अपने घर जा। फिर दोबारा पाप न करना। बाइबिल नया नियम – यूहन्ना -अध्याय 8 आयत 1 से 11 तक
मुसलमान मुहम्मद जैसे व्यक्ति को अल्लाह का रसूल कहते हैं जिसमें मानवता ही नहीं है।
नोट -इस विषय में और जानकारी के लिए यू ट्यूब की यह लिंक देखिये -
Quran corrupted by a GOAT – missing verses in the supposed holy Koran eaten
4. रसूली उन्माद
जब किसी पुस्तक को धर्मग्रन्थ कहा जाता है, तो लोगों को ऐसा लगता है कि जरुर इस पुस्तक में,जनकल्याण। आत्मोन्नति,सदाचार और समाजसुधार की शिक्षा दी गयी होगी। कुरान भी एक ऐसी किताब है,मुसलमान जिसे अल्लाह की किताब होने का दावा करते हैं। लेकिन जिस दिन से ही कुरान संकलित की गयी थी,उसी समय से ही आजतक उसकी बेतुकी,अटपटी,अर्थहीन और परस्पर विरोधी बातों पढ़कर लोग कहते हैं कि कुरान अल्लाह की किताब नहीं बल्कि किसी ऐसे व्यक्ति की रचना है,जिसका मानसिक संतुलन ठीक नहीं होगा,या वह व्यक्ति अति कल्पनाशील व्यक्ति होगा। या उसे मतिभ्रम हो गया होगा। उस समय जो लोग मुहम्मद साहब के बारे में ठीक से जानते थे वह मुहम्मद साहब के बारे में जो कहते थे वह कुरान में इस प्रकार कहा गया है,
1-दिवास्वप्न का रोगी - ऐसे लोग जागते हुए भी सपना देखते हैं, और उनको सपने की बात सच लगती है,इस रोग को Day dreamigया disambiguation-कहा जाता है
। लोग कहते हैं कि इसकी बातें दिवास्वप्न की तरह हैं,जिसे इसने अपनी कल्पना से गढ़ लिया है “सूरा -अल अम्बिया 21:5
इसी रोग के कारण मुहम्मद साहब को दिन में भी सपने में अद्भुत नज़ारे दिखते थे। कुरान में कहा है। शहर के परले पार बेर के पेड़ के पास,जन्नत के बिलकुल पास, जब बेर पर कुछ छाया सी पड़ी तो मैनें अल्लाह की निशानियाँ देखीं “सूरा-नज्म 53:14 से 18
हदीस में इस आयत का खुलासा इस प्रकार दिया गया है, देखिये यह हदीस,
अब्दुल्लाह ने कहा कि एक बार रसूल एक पेड़ से टिक कर आराम कर रहे थे,तो उन्होंने कहा मैंने देखा कि पूरे आसमान में क्षतिज तक हरे रंग का गलीचा बिछा हुआ है। फिर उन्होने कुरान की सूरा-नज्म की 14 से 18 तक की आयत सुना दी
अब्दुल्लाह ने कहा कि एक बार रसूल एक पेड़ से टिक कर आराम कर रहे थे,तो उन्होंने कहा मैंने देखा कि पूरे आसमान में क्षतिज तक हरे रंग का गलीचा बिछा हुआ है। फिर उन्होने कुरान की सूरा-नज्म की 14 से 18 तक की आयत सुना दी
حَدَّثَنَا حَفْصُ بْنُ عُمَرَ، حَدَّثَنَا شُعْبَةُ، عَنِ الأَعْمَشِ، عَنْ إِبْرَاهِيمَ، عَنْ عَلْقَمَةَ، عَنْ عَبْدِ اللَّهِ ـ رضى الله عنه – {لَقَدْ رَأَى مِنْ آيَاتِ رَبِّهِ الْكُبْرَى} قَالَ رَأَى رَفْرَفًا أَخْضَرَ سَدَّ أُفُقَ السَّمَاءِ। ”
“सही बुखारी -जिल्द 4 किताब 54 हदीस 456
“सही बुखारी -जिल्द 4 किताब 54 हदीस 456
2- पागल कवि
लोग कहते हैं यह एक पागल कवि है “सूरा -अत तूर 52:30
लोग बोले कि इसके अन्दर पागलपन भरा है “सूरा -अल मोमिनून 23:70
( there is madness in him )
लोग खाते हैं कि यह एक उन्मादी कवि है “सूरा -साफ्फात 37:36
3-मुहम्मद चालाक
3-मुहम्मद चालाक
जब लोग मुहम्मद को पागल कहने लगे तो उन्होंने लोगों भरोसा दिलाने के लिए यह आयतें सुना दी। मुहम्मद को न कोई उन्माद हुआ और न यह भूतग्रस्त है “सूरा -आराफ7:184
(Muhamad not mad and possessed )
(Muhamad not mad and possessed )
हे नबी तुम साथियों से कहो कि तुम्हारा यह साथी (मुहम्मद ) पागल नहीं हुआ “सुरा -तकबीर 81:22
हे नबी तुम खड़े हो जाओ और दो एक अपने लोगों को साथ ले लो जो लोगों से कहें कि हमारा साथी पागल नहीं हुआ “सूरा -सबा 34:46
हे नबी तुम पर तुम्हारे रब की कृपा है कि तुम अभीतक पागल नहीं हुए “सूरा -कलम -68:2
4-पागल कहने से नाराज
4-पागल कहने से नाराज
यद्यपि मुहम्मद साहब ने पूरा प्रयास किया कि लोग उनको पागल नहीं कहें, फिर भी यदि कोई पागल कह देता था, तो वह उसे जहन्नम का भय दिखाते थे, और जिन लोगों ने हमारा आदर पूर्वक अभिवादन नहीं किया, उनके लिए तो जहन्नम ही ठिकाना है “सूरा -मुजादिला 58:8
5-काल्पनिक फ़रिश्ता
मुहम्मद साहब ने लोगों में यह बात फैला रखी थी,कि मैं तो अनपढ़ हूँ, मैं कुरान की आयतें कैसे लिख सकता हूँ। मुझे तो अल्लाह अपने खास फ़रिश्ते जिब्रील (Gabriel ) द्वारा कुरान की आयतें भेजता रहता है। और यह वही फ़रिश्ता है,जिसका उल्लेख तौरेत और इंजील में किया गया है। मुहम्मद साहब यही बातें अपनी सबसे छोटी पत्नी आयशा से भी कहते थे। जो एक बच्ची और नादान थी। मुहम्मद साहब को लगा कि उनकी गप्पों पर आयशा विश्वास कर लेगी। इस लिए एक दिन उन्हों आयशा से जो कहा था वह इस हदीस में दिया है,“अबू सलमा ने कहा कि अचानक रसूल ने आयशा को पुकार कर कहा, आयशा वहां देखो जिब्रील खड़ा है, जो तुम्हें सलाम कर रहा है, तुम उसके सलाम का जवाब दो। आयशा बोली लेकिन मुझे वहां कोई दिखाई दे रहा है।
“
حَدَّثَنَا عَبْدُ اللَّهِ بْنُ مُحَمَّدٍ، حَدَّثَنَا هِشَامٌ، أَخْبَرَنَا مَعْمَرٌ، عَنِ الزُّهْرِيِّ، عَنْ أَبِي سَلَمَةَ، عَنْ عَائِشَةَ ـ رضى الله عنها ـ أَنَّ النَّبِيَّ صلى الله عليه وسلم قَالَ لَهَا “ يَا عَائِشَةُ، هَذَا جِبْرِيلُ يَقْرَأُ عَلَيْكِ السَّلاَمَ ”। فَقَالَتْ وَعَلَيْهِ السَّلاَمُ وَرَحْمَةُ اللَّهِ وَبَرَكَاتُهُ। تَرَى مَا لاَ أَرَى। تُرِيدُ النَّبِيَّ صلى الله عليه وسلم। बुखारी -जिल्द 4 किताब 54 हदीस 440
इसीतरह जब लोगों ने जब मुहम्मद साहब से उस फ़रिश्ते के आकार प्रकार, रंगरूप के बारे में सवाल किया तो मुहम्मद साहब ने बड़ी चालाकी से यह जवाब दे दिया, जो इस हदीस में दिया है,
“याह्या बिन सुलेमान ने कहा कि रसूल ने बताया कि एकबार जिब्रील ने मेरे घर आने का वादा किया था, मगर दीवार पर एक कुत्ते की तस्वीर देख कर वह डर गया। और वापिस चला गया। बुखारी -
“حَدَّثَنَا يَحْيَى بْنُ سُلَيْمَانَ، قَالَ حَدَّثَنِي ابْنُ وَهْبٍ، قَالَ حَدَّثَنِي عُمَرُ، عَنْ سَالِمٍ، عَنْ أَبِيهِ، قَالَ وَعَدَ النَّبِيَّ صلى الله عليه وسلم جِبْرِيلُ فَقَالَ إِنَّا لاَ نَدْخُلُ بَيْتًا فِيهِ صُورَةٌ وَلاَ كَلْبٌ।
जिल्द 4 किताब 54 हदीस 450
“याह्या बिन सुलेमान ने कहा कि रसूल ने बताया कि एकबार जिब्रील ने मेरे घर आने का वादा किया था, मगर दीवार पर एक कुत्ते की तस्वीर देख कर वह डर गया। और वापिस चला गया। बुखारी -
“حَدَّثَنَا يَحْيَى بْنُ سُلَيْمَانَ، قَالَ حَدَّثَنِي ابْنُ وَهْبٍ، قَالَ حَدَّثَنِي عُمَرُ، عَنْ سَالِمٍ، عَنْ أَبِيهِ، قَالَ وَعَدَ النَّبِيَّ صلى الله عليه وسلم جِبْرِيلُ فَقَالَ إِنَّا لاَ نَدْخُلُ بَيْتًا فِيهِ صُورَةٌ وَلاَ كَلْبٌ।
जिल्द 4 किताब 54 हदीस 450
6-कुरान में बेतुकी आयतें
इतना होने पर भी मुहम्मद साहब फ़रिश्ते के बहाने कुरान में बेतुकी, निरर्थक, और बेसिर पर की आयतें बनाते रहे, जिसके कुछ नमूने देखिये
”कसम है उनकी, जो पंक्तिबद्ध हो जाते हैं। और फिर डाँटते हैं। और झिड़कते हैं। फिर इसका जिक्र करते हैं” सूरा-अस साफ्फात 37 :1 से 3
”कसम है उनकी, जो पंक्तिबद्ध हो जाते हैं। और फिर डाँटते हैं। और झिड़कते हैं। फिर इसका जिक्र करते हैं” सूरा-अस साफ्फात 37 :1 से 3
”कसम है तूर की। और लिखी हुई किताब की। और खुले हुए पर्ण)(parchament) की। और अपने घर की ऊंची छत की “सूरा -अत तूर 52 :1 से 4
”कसम है उनकी जो आखिरी सीमा तक जा लेते हैं। और इधर उधर निकल लेते हैं। और उतराते(float) हैं “सूरा -अन नाजिआत 79 :1 से 3
”कसम है उनकी जो हिनकारते है,फिर आग झाड़ते हैं “सूरा -आदियात100:1-2
वह खड़खडाने वाली चीज, क्या है वह खड़खडाने वाली चीज “सूरा -अल कारिया 101:1-2
और जब लोग कुरान की ऐसी ही पागलपन की बातें सुन सुन कर ऊब गए तो मुहम्मद साहब ने लोगों को यह आयत सुना दी,
वह खड़खडाने वाली चीज, क्या है वह खड़खडाने वाली चीज “सूरा -अल कारिया 101:1-2
और जब लोग कुरान की ऐसी ही पागलपन की बातें सुन सुन कर ऊब गए तो मुहम्मद साहब ने लोगों को यह आयत सुना दी,
“और तुम्हारे रब ने अबतक तुम्हें नहीं छोड़ा और न तुम से ऊब गया है “सूरा -अज जुहा 93:3
7-अल्लाह ने मुहम्मद की बुद्धि छीन ली
यह एक अटल सत्य है कि जैसे हरेक ढोंगी,पाखंडी और झूठे लोगों का एक न एक दिन भंडा जरुर फूट जाता है। उसी तरह आखिर मुहम्मद साहब को स्वीकार करना पड़ा की उनकी बुद्धि अल्लाह ने छीन ली थी। जैसा इस प्रमाणित हदीस में दिया है, उबदा बिन अस्सामित ने कहा कि जब लोग रमजान महीने की रात लैलतुल कद्र की सही तारीख के बारे में बहस कर रहे तो,रसूल बोले मैं तुम्हें सही तारीख इस लिए नहीं बता सकता, क्योंकि अल्लाह ने मेरी बुद्धि छीन ली है (knowledge was taken away) (“
أَخْبَرَنَا قُتَيْبَةُ بْنُ سَعِيدٍ، حَدَّثَنَا إِسْمَاعِيلُ بْنُ جَعْفَرٍ، عَنْ حُمَيْدٍ، عَنْ أَنَسٍ، قَالَ أَخْبَرَنِي عُبَادَةُ بْنُ الصَّامِتِ، أَنَّ رَسُولَ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم خَرَجَ يُخْبِرُ بِلَيْلَةِ الْقَدْرِ، فَتَلاَحَى رَجُلاَنِ مِنَ الْمُسْلِمِينَ فَقَالَ “ إِنِّي خَرَجْتُ لأُخْبِرَكُمْ بِلَيْلَةِ الْقَدْرِ، وَإِنَّهُ تَلاَحَى فُلاَنٌ وَفُلاَنٌ فَرُفِعَتْ وَعَسَى أَنْ يَكُونَ خَيْرًا لَكُمُ الْتَمِسُوهَا فِي السَّبْعِ وَالتِّسْعِ وَالْخَمْسِ ”।
सही बुखारी -जिल्द 1 किताब 2 हदीस 47
निष्कर्ष -इस्लाम के प्रचारक कितने भी कुतर्क करें,और कुरान को अल्लाह की किताब साबित करने का कितना प्रयास करें, लेकिन हदीस से यह सिद्ध हो चूका है कि अल्लाह ने ही मुहम्मद साहब की बुद्धि छीन ली थी। और ऊपर से मुस्लिम विद्वान् यह भी दावा करते हैं कि मुहम्मद साहब अनपढ़ थे। और यही कारण कि कुरान में जगह,जगह बेतुकी, ऊंटपटांग, निरर्थक और मानवता विरोधी बातों की भरमार है। और ऐसी बातें सिर्फ एक विक्षिप्त, व्यक्ति ही कह सकता है, जिसकी बुद्धि नष्ट हो गयी हो।
और कुरान को वही लोग मान सकते हैं जिनकी बुद्धि छिन गयी हो। हमारी बुद्धि अभी तक सुरक्षित है
5. मुसलमानों के अधिकार का औचित्य !
विश्व के हरेक व्यक्ति को उसके मौलिक अधिकार मिलना चाहिए। सभी इस बात पर सहमत होंगे। परन्तु इस बात से भी सभी लोग सहमत होंगे अधिकारों का जन्म कर्तव्य से होता है। सिर्फ जनसख्या कम होने के आधार पर ही अधिकारों की मांग करना तर्कसंगत नहीं है। सब जानते कि मुसलमानों ने सैकड़ों साल तक इस देश को लूट लूट कर कंगाल कर दिया। लोगों की भलाई की जगह मकबरे, कबरिस्तान, मजार और मस्जिदें ही बनायी है। और जब हिदू देश की आजादी के लिए शहीद हो रहे थे, तो इन्हीं मुसलमानों ने देश के टुकडे करवा दिए। फिर भी अल्पसंख्यक होने का बहाना लेकर अधिकारों की मांग कर रहे हैं। आप एक भी ऐसा मुस्लिम देश बता दीजिये, जहाँ अल्पसंख्यक होने के आधार पर गैर मुस्लिमों को वह अधिकार मिलते हों,जो मुसलमान यहाँ मांग रहे हैं। मुसलमान हमेशा दूसरों के अधिकार छीनते आये हैं और आपसी मित्रता,सद्भाव, भाईचारे की आड़ में पीठ में छुरा भोंकते आये हैं यह इस्लाम के इतिहास से प्रमाणित होता है, मुसलमान अपनी कपट नीति नहीं छोड़ सकते, कैसे कुत्ते की पूंछ सीधी नहीं हो सकती।
1-मुसलमानों की कपट नीति
अरब के लोग पैदायशी लुटेरे, और सतालोभी होते हैं। मुहम्मद की मौत के बाद ही उसके रिश्तेदार खलीफा बन कर तलवार के जोर पर इस्लाम फैलाने लगे। और जिहाद के बहाने लूटमार करने लगे, यह सातवीं शताब्दी की बात है, उस समय मुसलमानों का दूसरा खलीफा “उमर इब्ने खत्ताब ” दमिश्क पर हमला करके उस पर कब्ज़ा कर चुका था। उम्र का जन्म सन 586और 590 ईस्वी के बीच हुआ था और मौत 7नवम्बर 644 ईस्वी में हुई थी। चूंकि यरूशलेम दमिश्क के पास था, और वहां बहुसंख्यक ईसाई थे। यरूशलेम स्थानीय शासन “पेट्रीआर्क सोफ़्रोनिअस Sophronius ” (Σωφρόνιος ) के हाथों में था। ईसाई उसे संत (Saint ) भी मानते थे। यरूशलेम यहूदियों,ईसाइयों और मुसलमानों के लिए पवित्र शहर था। और उमर बिना खूनखराबा के यरूशलेम को हथियाना चाहता था। इसलिए उसने एक चाल चली। और यरूशलेम के पेट्रआर्क सन्देश भेजा कि इस्लाम तो शांति का धर्म है। यदि आप के लोग समर्पण कर देगे तो हम भरोसा देते है कि आपकी और आपके लोगों के अधिकारों की रक्षा करेंगे। और इसके साथ ही उमर एक संधिपरत्र का मसौदा ( Draft ) यरूशलेम भिजवा दिया। जिस पर यरूशलेम के पेर्ट्रीआर्क ने सही कर दिए। और उमर पर भरोसा करके यरूशलेम उमर के हवाले कर दिया।
2-उमर का सन्धिपत्र
इस्लामी इतिहास में इस संधिपत्र को ” उमर का संधिपत्र ( Pact of Umar ) या ” अहद अल उमरिया العهدة العمرية ” कहा जाता है। इसका काल लगभग सन 637 बताया जाता है। उमर ने यह संधिपत्र “अबूबक्र मुहम्मद इब्न अल वलीद तरतूशأبو بكر محمد بن الوليد الطرطوش” ” से बनवाया था। जिसने इस संधिपत्र का उल्लेख अपनी प्रसिद्ध किताब ” सिराज अल मुल्क سراج الملوك” के पेज संख्या 229 और 230 पर दिया है। इस संधिपत्र का पूरा प्रारूप ” एडिनबर्ग यूनिवर्सिटीUniversity of Edinburgh ” ने सन 1979 में पकाशित किया है। इस संधिपत्र की शर्तों को पढ़ने के बाद पता चलेगा कि मित्रता के बहाने मुसलमान कैसा धोखा देते हैं। और अल्पसंख्यकों को अधिकार देने के बहाने उनके अधिकार छीन लेते है। यद्यपि उमर ने इस्लाम को शांति का धर्म बता कर लोगों गुमराह करने के लिए इस संधिपत्र बड़ा ही लुभावना शीर्षक दिया था
3-इस्लामी शासन में गैर मुस्लिमों का अधिकार!
यद्यपि उमर का संधिपत्र सातवीं सदी में लिखा गया था लेकिन सभी मुस्लिम देश इसे अपना आदर्श मानते है। और हरेक मुस्लिम देश के कानून में उमर के संधिपत्र की कुछ न कुछ धाराएँ जरुर मौजूद है,उमर के संधिपत्र का हिंदी अनुवाद यहाँ दिया जा रहा है,
1-हम अपने शहर में और उसके आसपास कोई नया चर्च, मठ, उपासना स्थल, या सन्यासियों के रहने के लिए कमरे नहीं बनवायेंगे। और उनकी मरम्मत भी नहीं करवाएंगे। चाहे दिन हो या रात
2- चाहे दिन हो या रात हम अपने घर मुस्लिम यात्रियों के लिए हमेशा खुले रखेंगे, और उनके लिए खाने पीने का इंतजाम करेंगे।
3-यदि कोई हमारा व्यक्ति मुसलमानों से बचने के लिए चर्च में शरण मांगेगा, तो हम उसे शरण नहीं देंगे।
4-हम अपने बच्चों को बाईबिल नहीं पढ़ाएंगे।
4-हम अपने बच्चों को बाईबिल नहीं पढ़ाएंगे।
5-हम सार्वजनिक रूप से अपने धर्म का प्रचार नहीं करेंगे, और न किसी का धर्म परिवर्तन करेंगे।
6-हम हरेक मुसलमान के प्रति आदर प्रकट करेंगे, और उसे देखते ही आसन से उठ कर खड़े हो जायेंगे।
और जब तक वह अनुमति नहीं देता आसन पर नहीं बैठेंगे।
7-हम मुसलमानों से मिलते जुलते कपडे, पगड़ी और जूते नहीं पहिनेंगे।
8-हम किसी मुसलमान के बोलने, और लहजे की नक़ल नहीं करेंगे और न मुसलमानों जैसे उपनाम (Surname) रखेंगे ।
9-हम घोड़ों पर जीन लगाकर नहीं बैठेंगे, किसी प्रकार का हथियार नहीं रखेंगे, और न तलवार पर धार लगायेंगे।
10-हम अपनी मुहरों और सीलों ( Stamp ) पर अरबी के आलावा की भाषा का प्रयोग नहीं करेंगे।
11-हम अपने घरों में सिरका(vinegar) नहीं बनायेंगे।
12-हम अपने सिरों के आगे के बाल कटवाते रहेंगे।
13-हम अपने रिवाज के मुताबिक कपडे पहिनेंगे,लेकिन कमर पर “जुन्नार” ( एक प्रकार का मोटा धागा ) नहीं बांधेंगे।
14-हम मुस्लिम मुहल्लों से होकर अपने जुलूस नहीं निकालेंगे, और न अपनी किताबें, और क्रूस प्रदर्शित करेंगे, और अपनी प्रार्थनाएं भी धीमी आवाज में पढेंगे।
15-यदि कोई हमारा सम्बन्धी मर जाये तो हम जोर जोर से नहीं रोयेंगे, और उसके जनाजे को ऐसी गलियों से नहीं निकालेंगे जहाँ मुसलमान रहते हों। और न मुस्लिम मुहल्लों के पास अपने मुर्दे दफनायेंगे।
16 -यदि कोई मुसलमान हमारे किसी पुरुष या स्त्री को गुलाम बनाना चाहे, तो हम उसका विरोध नहीं करेंगे।
17-हम अपने घर मुसलमानों से बड़े और ऊँचे नहीं बनायेंगे।
” जुबैरिया बिन कदमा अत तमीमी ने कहा जब यह मसौदा तैयार हो गया तो उमर से पूछा गया, हे ईमान वालों के सरदार, क्या इस मसौदे से आप को संतोष हुआ, तो उमर बोले इसमें यह बातें भी जोड़ दो, हम मुसलमानों द्वारा पकडे गए कैदियों की बनायीं गयी चीजें नहीं बेचेंगे। और हमारे ऊपर रसूल के द्वारा बनाया गया जजिया का नियम लागू होगा” बुखारी -जिल्द 4 किताब 53 हदीस 38
4-पाकिस्तान में हिन्दुओं के अधिकार
पाकिस्तान की मांग उन्हीं मुसलमानों ने की थी जो अविभाजित भारत के उसी भाग में रहते थे जो अज का वर्त्तमान भारत है। पाकिस्तान बनाते ही जिन्ना ने कहा था आज से पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के अधिकारों का द्वार सील हो गया है “the fate of minorities in this country was sealed forever “
पाकिस्तान में इसी लिए अकसर आये दिन हिन्दू लड़कियों पर बलात्कार होता है, मंदिर तोड़े जाते हैं, बल पूर्वक धर्म परिवर्तन कराया जाता है। और हमारी सरकार हिना रब्बानी के साथ मुहब्बत के तराने गाती रहती है। दिखने के लिए पाकिस्तान के संविधान की धारा 20 में अल्पसंख्यकों के अधिकारों का दावा किया गया है। लेकिन मुसलमान संविधान की जगह उमर की संधि पर अमल करते हैं।
पाकिस्तान में इसी लिए अकसर आये दिन हिन्दू लड़कियों पर बलात्कार होता है, मंदिर तोड़े जाते हैं, बल पूर्वक धर्म परिवर्तन कराया जाता है। और हमारी सरकार हिना रब्बानी के साथ मुहब्बत के तराने गाती रहती है। दिखने के लिए पाकिस्तान के संविधान की धारा 20 में अल्पसंख्यकों के अधिकारों का दावा किया गया है। लेकिन मुसलमान संविधान की जगह उमर की संधि पर अमल करते हैं।
(Our purpose to write this blog is not to hurt feelings of any individual, but only to spread the truth)
(इस ब्लॉग का उद्देश्य किसी की भावनाओ को ठेस न पंहुचा कर अपितु सत्य को उजागर करना है। साभार राष्ट्रीय प्रहरी ब्लाग http://www। bible। ca/islam/islam-kills-pact-of-umar। htm तथा https://hindurashtra। wordpress। com/2013/02/14/522/)


Christianity and Christian missionary are more dangerous than Muslims in our Bharat.They have lot of money and promoting Christianity like multi national companies promoting their products. Actually missionary selling Sole
ReplyDeleteI would like to dedicate my life for No Conversion movement
भाई आप ने ना कुरान को सही से पढना ना समझा। कुरान कि तफशीर पढिए। फिर आपको समझ आएगा
ReplyDeleteइतिहास साक्षी है की इस्लाम धर्म का जितना दुष्प्रचार किया गया उतनी तेजी से ये इस्लाम फैलता गया। आपकी बताई गई झूटी और भ्रामक बातो से लोग इस्लाम का उत्सुकता से अध्यन करेंगे और फिर इस्लाम स्वीकार कर लेंगे। झूट की आयु कम होती है और सच अमर होता है।
ReplyDelete