हमारी संस्कृति राधा कृष्ण और भरत शंकुतला की संस्कृति है। लेकिन भारत में कुछ ताकतें इसे सऊदी अरब और पाकिस्तान बनाना चाहतीं हैं जहाँ औरत जींस नहीं पहन सकती, प्यार करना, बॉयफ्रेंड होना अपराध है, और यह सब किया जा रहा है भारत की संस्कृति के नाम पर। आओ ऐसे मुगलिया सोच रखने वालों को जवाब दे। सती प्रथा, बाल विवाह, दहेज़ प्रथा, पर्दा प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या उसी मुगलिया सोच का परिणाम है । भारत में इस्लाम के आने से पहले ये सब कहाँ था।
दिल्ली में गत वर्ष हुए सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में जहॉ देश और पूरी दुनिया से दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त सजा की मॉग उठ रही है वहीं देश के भीतर हिन्दुत्व के कथित ठेकेदारों के लगातार आ रहे बयानों ने उनकी स्त्रियों के प्रति मुगलिया सोच को एक बार फिर उजागर किया है। इन ठेकेदारों में निचली पायदान के नेताओं से लेकर शीर्ष तक के मठाधीश शामिल हैं। इनके बयानों पर हैरत बिल्कुल नहीं हैं क्योंकि इनकी सोच ही यही है बल्कि इनकी इस सोच को एक बार पुन: रेखांकित करने की जरुरत है। चाल, चरित्र और चेहरा की बात करने वाले इन लोगों ने इस प्रकरण के बहाने यह बताने की कोशिश की है कि स्त्री व्यक्ति न होकर महज पण्य (खरीद फरोख्त की वस्तु) है और इसे अपनी जरुरत के हिसाब से इस्तेमाल कर फेंका जा सकता है।
एक बयान रासलीला-पुरुष आशाराम बापू का आया कि बलात्कार पर आमादा दरिन्दे के सामने स्त्री को हाथ पैर जोड़ना चाहिए और उसे भाई साहब कहना चाहिए तो उसका काया पलट हो जाएगा और वह उसे बहन मानकर छोड़ देगा! चर्चित दिल्ली बस बलात्कार कांड पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए नरबलि, हत्या, हत्या के प्रयास, बलात्कार, अवैधा कब्जों आदि दुष्कर्मों के कथित आरोपित आशाराम बापू ने अनोखा सुझाव देते हुए कहा कि जब बलात्कारी कई थे तो लड़की को उनमें से एक-दो को भाई बना लेना था, तब वो भाई बाकियों से निपट लेते! आशाराम बापू ने यह बयान किसी जल्दबाजी में दे दिया हो ऐसा नहीं था। मीडिया में उनके इस बयान पर जब हल्ला मचा तो अगले दिन उन्होंने पत्रकारों को कुत्ता और खुद का हाथी बताया। आज भी कुछ हिंदू संगठन आशाराम के ऊपर लगे आरोपों के लिए मीडिया को दोष दे रहे हैं, क्या इस प्रकार के पाखंडी सनातन हिंदू धर्म के संत होने के लायक है। ये यही मुगलिया सोच है जिसके कारण मीनाक्षी लेखी जैसे बीजेपी के नेता आसाराम बापू के समर्थक है।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के माननीय सरसंघचालक श्री मोहन भागवतजी ने तो बलात्कार के लिए शहरों को ही जिम्मेदार बताया और कहा कि ग्रामीण भारत में बलात्कार होते ही नहीं! वे कहते हैं कि 'इंडिया' की पश्चिमी संस्कृति में ही बलात्कार होते हैं। यह उस संगठन प्रमुख का कहना है जो कई दशकों से देश में हिन्दुत्व की सांस्कृतिक व धार्मिक अलख जगाये रखने का दावा करता है और कहता है कि वह एक बेहतर भारत के निर्माण में लगा हुआ है। संघ प्रमुख बलात्कार जैसे जघन्य अपराध के लिए मानसिकता को जिम्मेदार न मानकर रहन-सहन और पहनावे को ही दोषी मानते हैं। संघ के पदाधिकारियो को कौन समझाए कि गंदगी और चीथड़ों में लिपटी औरत के साथ भी बलात्कार की सैकड़ों-हजारों घटनाऐं होती रही हैं और अभी गत वर्ष ही दिल्ली में 72 वर्षीय एक वयोवृध्द गरीब महिला के साथ एक नौजवान दरिन्दे ने बलात्कार किया था। संघ के पदाधिकारियो को कौन समझाए कि जब अजमेर शरीफ के मौलाना मुइद्दीन चिश्ती ने संयोगिता की तस्वीर भेज जब मोहम्मद गौरी को अजमेर पर आक्रमण के लिए निमंत्रित किया था, तथा युद्ध के दौरान रानी संयोगिता को निर्वस्त्र कर मुस्लिम सैनिको के समक्ष फैंक दिया था, तथा रानी का असंख्य मुस्लिम सैनिकों द्वारा सामूहिक बलात्कार किया गया था, तब यहाँ पश्चमी संस्कृति नहीं थी। खैर संघ के पदाधिकारियो के शिष्य मोदीजी ने अजमेर शरीफ में चादर चढ़ा कर रानी संयोगिता तथा राजा पृथ्वीराज चौहान को श्रद्धांजलि दे दी है। संघ ने लगता है, कायरों की एक फौज पैदा की है जिनको अजमेर शरीफ में चादर चढ़ा कर या पाकिस्तान की मेहमान नवाजी कराने में ग्लानी महसूस नहीं होती है। संघ के पदाधिकारियो को कौन समझाए जब मौहम्मद गजनवी ने राजा दाहिर की बेटियों को बगदाद के खलीफा की हवस मिटाने के लिए भेजा था, तब यहाँ पश्चमी संस्कृति नहीं थी। संघ के पदाधिकारियो को कौन समझाए कि जब अलाउद्दीन खिलजी ने रानी पद्मावती को जौहर के लिए विवश किया था, तब यहाँ पश्चमी संस्कृति नहीं थी। असल में यही संघ की मुगलिया सोच है जो स्त्री का पुरुष के सामान होना स्वीकार नहीं कर पा रहा है। मुगलिया सोच वही है जिसके चलते मस्जिदों में महिलायें नहीं जा सकती, मुसलमान के लिये चार निकाह हलाल हैं और महिला को छोड़ने के लिए मात्र तीन बार तलाक बोलना काफी है।
भाजपा शासित मध्य प्रदेश में एक उद्योगमंत्री हैं कैलाश विजयवर्गीय। उनका कहना है कि बलात्कार इसलिए होते हैं जब लड़कियॉ/औरतें अपने लिए बनायी लक्ष्मणरेखा का उल्लंघन करेंगी तो रावण आयेगा ही। यानि कैलाश विजयवर्गीय के अनुसार सीता जी के लक्ष्मण रेखा लांघने के कारण ही राम-रावन युद्ध हुआ। संघ तथा कैलाश विजय वर्गीय के दृष्टिकोण की समानता देखिये कि ये सारा दोष महिलाओं का ही देते हैं।
मध्य प्रदेश से सटे और कभी इसका हिस्सा रहे राज्य छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री हैं ननकी राम कॅंवर। आशाराम बापू, मोहन भागवत और कैलाश विजयवर्गीय के कदम से कदम मिलाते हुए ननकी राम ने बयान दिया कि महिलाओं पर बलात्कार इसलिए हो रहे हैं कि आजकल उनके (महिलाओं) ग्रह-नक्षत्र ठीक नहीं हैं। इस बारे में वे कुछ नहीं कर सकते। यह ज्योतिषियों का काम है। ध्यान रहे कि छत्तीसगढ़ में कांकेर जिले में आदिवासी बच्चियों के एक छात्रावास में हुई बलात्कार की घटना पर गृहमंत्री ननकी राम बयान दे रहे थे। यह और बात है कि उनके इस अद्भुत बयान पर मुख्यमंत्री रमण सिंह ने माथा पकड़ लिया और कहा कि ''अब मैं इस पर क्या कहूँ।'' यह जानना जरुरी है कि ये ननकी राम वही गृहमंत्री हैं जिन्होंने इससे कुछ दिन पहले पुलिस वालों द्वारा एक आदिवासी लड़की मीना खलको के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले पर प्रेसवार्ता में कहा था कि वो लड़की तो सेक्स की आदी थी!
महिलाओं को लेकर संघ और उसके आनुषांगिक संगठनों का यह रवैया नया नहीं है। जिस प्रकार इस्लाम में महिलाओं को खेतीबाड़ी बताया गया है उसी प्रकार संघ परिवार के विचारक महिलाओं को मर्दों की सम्पत्ति से अधिक कुछ नहीं समझते। विजय वर्गीय जब कहते हैं कि महिलाऐं लक्ष्मण रेखा में रहें, तो इसका असल मकसद यही होता है कि पुरुष जैसा चाहे उनका उपभोग करें। महिलाओं का एतराज करना ही विजय वर्गीय की लक्ष्मण रेखा का उल्लंघन करना हो जाता है। इसी मुगलिया सोच के कारण संस्कृति के ठेकेदार बनकर होटलो, पबों, सड़कों और पार्को में अपने काम से निकली लड़कियों की पिटाई करते हैं और उन्हें घरों में रहने की हिदायत देते हैं। घर, ताकि वहॉ शोषण हो और बाहर पता भी न चले। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ संभवत: देश का सबसे सुगठित और बड़ा गैर राजनीतिक संगठन है, लेकिन इसमें स्त्रियों का प्रवेश पूरी तरह वर्जित है। अपने नौ दशक के अब तक के सफर में संघ में कभी भी स्त्रियों को प्रवेश नहीं दिया गया। इसी से स्त्रियों के प्रति इनकी मानसिकता का पता चल जाता है। संघ सृजित और पालित भारतीय जनता पार्टी में भी यही हाल है। 'यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते...' का दिखावटी उद्धोष करने वाली इस पार्टी में महिला पदाधिकारियों की संख्या नगण्य ही रहती है।
महिलाओं को लेकर संघ और उसके आनुषांगिक संगठनों का यह रवैया नया नहीं है। जिस प्रकार इस्लाम में महिलाओं को खेतीबाड़ी बताया गया है उसी प्रकार संघ परिवार के विचारक महिलाओं को मर्दों की सम्पत्ति से अधिक कुछ नहीं समझते। विजय वर्गीय जब कहते हैं कि महिलाऐं लक्ष्मण रेखा में रहें, तो इसका असल मकसद यही होता है कि पुरुष जैसा चाहे उनका उपभोग करें। महिलाओं का एतराज करना ही विजय वर्गीय की लक्ष्मण रेखा का उल्लंघन करना हो जाता है। इसी मुगलिया सोच के कारण संस्कृति के ठेकेदार बनकर होटलो, पबों, सड़कों और पार्को में अपने काम से निकली लड़कियों की पिटाई करते हैं और उन्हें घरों में रहने की हिदायत देते हैं। घर, ताकि वहॉ शोषण हो और बाहर पता भी न चले। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ संभवत: देश का सबसे सुगठित और बड़ा गैर राजनीतिक संगठन है, लेकिन इसमें स्त्रियों का प्रवेश पूरी तरह वर्जित है। अपने नौ दशक के अब तक के सफर में संघ में कभी भी स्त्रियों को प्रवेश नहीं दिया गया। इसी से स्त्रियों के प्रति इनकी मानसिकता का पता चल जाता है। संघ सृजित और पालित भारतीय जनता पार्टी में भी यही हाल है। 'यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते...' का दिखावटी उद्धोष करने वाली इस पार्टी में महिला पदाधिकारियों की संख्या नगण्य ही रहती है।
लगभग यही सोच इनकी विज्ञान और आधुनिक चिकित्सा को लेकर हैI क्या भारत को स्पेस ऐज में ले जाना, इस मानसिकता के साथ संभव हो सकेगाI कल अमेरिका और चीन की spacewar तकनीक का इस मानसिकता के साथ भारत मुकाबला कर पायेगाI जरा सोचिये?
माननीय सरसंघचालक श्री मोहन भागवतजी शिव आराधना एवं शिवत्व प्राप्ति को मातृभूमि की सेवा के लिए आवश्यक बताते हैंI लेकिन शिवाराधना एवं शिवत्व प्राप्ति का मार्ग वह होना चाहिए, जो महर्षि दयानंद ने दिखाया हैI महर्षि दयानंद अपनी पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश में कहते है की वेदों के अनुसार परमात्मा निराकार एवं नश्वर है, जिनको लौकिक कथाओ में व्यक्त नहीं किया जा सकता हैंI पुराणों में वर्णित भगवान शिव, ब्रह्मा, विष्णु, राम, कृष्ण आदि महापुरुष थे जिन्होंने समय समय पर मानवमात्र को धर्मानुसार आचरण का मार्ग दिखाया I अत: उनकी शिव की आराधना का मार्ग मात्र प्राणायाम एवं यौगिक समाधी ही है, जो आ़प अपने घर के किसी शांत कोने में बैठ कर सकते हैंI किसी मंदिर में जाकर आप घंटी बजाएं, तदुपरांत आप शिवलिंग को दूध बेलपत्र आदि चढायेंI इन क्रियाओं से आप न शिवजी को समझ पायेंगे, न ही शिवत्व प्राप्त कर सकेंगेI हाँ, आप इस भ्रम को जरूर पाले रहेंगे कि आप शिवभक्त हैं आप इसप्रकार शिवभक्ति के साथ निम्न कुमान्याताओं को भी बढावा देंगे, जो वेद विरुद्ध भी हैंI
१. शूद्रों को शिवाराधना अथवा मंदिर में प्रवेश वर्जित है इसप्रकार आप जातिवाद तथा छुआछूत को अनजाने में पोषित करेंगेI
२. महिलाओं को मासिक धर्म के दिनों में अथवा विधवाओं को शिवाराधना नहीं करनी चाहिये इस प्रकार आप महिलाओ का उत्पीडन के मार्ग अनजाने में प्रशस्त करेंगेI
३. शिवजी बेलपत्र तथा दूध से प्रसन्न होते हैI आप कितने भी दुष्कर्म करें, वेलपत्र आदि चढा कर शिवजी को प्रसन्न कर लेंगेI इस प्रकार आप सद्कृत्य के लिए प्रेरित नहीं होंगेI
आदि आदिI
ये एक खेद का विषय है कि संघ हिंदुओं का सबसे बड़ा संगठन है, किन्तु स्वयंसेवकों को पाखंड, मूर्तिपूजा, जातिवाद, महिला-उत्पीडन से मुक्त नहीं करा पा रहा हैंI हिन्दू धर्म को विश्व स्तरीय बनाने के लिए संघ को महर्षि दयानंद एवं सत्यार्थप्रकाश की शरण में जाना ही होगाI
अतः माननीय सरसंघचालक श्री मोहन भागवतजी, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्रमोदीजी, भाजपा अध्यक्ष अमितशाह समेत सभी संघ के प्रत्येक पदाधिकारी को सर्वप्रथम सत्यार्थ प्रकाश पढ़ कर हिन्दू धर्म के सही वैदिक रूप को समझना होगा, तभी वे शिवजी अथवा निराकार ईश्वर से साक्षात्कार कर पायेंगे, उनकी आराधना कर शिवत्व को प्राप्त होंगेI इसके अतिरिक्त संघ को एवं हिन्दू धर्म के उत्थान का कोई दूसरा उपाय मुझे समझ नहीं आ रहा हैI
आज समय विज्ञान, पूंजीवाद एवं वैश्विकरण का है, अतः यदि आज हमें हिन्दू धर्म का प्रचार प्रसार करना है तो
१. इसे एक विश्वस्तरीय उत्पाद बनाना होगा अर्थात इसकी Quality (गुणवत्ता) विश्वस्वीकार्य (Globally acceptable) बनानी होगी हमारे प्रतियोगी धर्म इस्लाम तथा ईसाईयत में जातिवाद, कन्या भ्रूणहत्या, दहेज जैसी बुराइयाँ नहीं हैंI हमें इन बुराइयों को इसलिए भी छोडना होगा क्योंकि ये वेदोक्त नहीं हैI
२. हिन्दू (वैदिक) धर्म की (Marketing) मार्केटिंग करनी होगीI इसकी खूबियों को विश्व के अन्य धर्मावलम्बियों के समक्ष रखना होगाI घर घर जा कर वैदिक हिन्दू धर्म अपनाने के लिए प्रेरित करना होगाI
मित्रों, आज आवश्यक है कि इस्लाम ईसाईयत के नाम पर जो खून बहाया जा रहा है वो समाप्त होI यदि हम अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका तथा अरब देशों में यदि २०% लोगों को भी हिन्दू धर्ममें ला सके, तो यह अयोध्या में राममंदिर बनने से भी अधिक महत्वपूर्ण होगा साथ ही विश्व का कल्याण भी इसी में हैI ---- डॉ देवराज मिश्र
(Our purpose to write this blog is not to hurt feelings of any individual, but only to spread the truth, so that thinking of leaders of Hinduism may be corrected)
(हमारा उद्देश्य किसी की भावनाओं को आहत करना नहीं, अपितु हिन्दू नेतृत्व की सोच को सही करना मात्र हैI)

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