Friday, August 19, 2016

हिन्दू हितों पर मौन मोदीजी

हिन्दू हितों पर मौन मोदीजी
प्रिय मित्रों एवं बच्चों !
आप सभी इस बात से भली भांति परिचित हैं कि नेताओं की बातों पर आँख मूँद कर विश्वास करने वालों का हश्र सदा बुरा ही होता है। सोचो कि भगवान ने हम सभी को बुद्धि और दिमाग किसलिए दिए हैं, यदि हम उनका इस्तेमाल ही न करें? और आप सब भी तो इस बात से सहमत हैं कि विश्व के समस्त नेताओं की प्रवृति तो गिरगिट जैसी होती है, पल-पल में ही बदल जाती है। इससे ज्यादा दुखद और क्या होगा कि भारतीय नेताओं के कारण तो बेचारे गिरगिटों को भी बहुत बड़ी मात्रा में आत्महत्या करनी पड़ रही है। क्यूँकि उनका कहना है कि जितनी देर उन्हें ये सोचने में लगती है कि अपना अगला रंग क्या बदलूँ, उतनी देर में तो कुछ भारतीय नेता अपना बयान तीन बार बदल लेते हैं।
भारत एक हिन्दू बहुल देश होते हुए भी यहाँ कदम कदम पर हमारे हिन्दू धर्म को अपमानित होना पड़ता है, साथ ही कुव्यवस्था के कारण यह देश भी एक बार फिर से विनाश और विभाजन की ओर अग्रसर होता प्रतीत हो रहा है। इन सब बातों के अलावा कुछ मुस्लिम देशों में पिछले कुछ समय से हिन्दू व् गैर-मुस्लिम लोगों के साथ दुर्व्यवहार, सामूहिक जन-सँहार और जबरन धर्मान्तरण की अनगिनत घटनाओं के बाद इस देश को भी एक मुस्लिम देश बनाने की उठती मांग ने हमें सकते में डाल दिया है और सोचने पर मज़बूर कर दिया है कि नेहरू और गांधी की बेवकूफी और साज़िश के कारण क्या भारत और हिंदुत्व का अस्तित्व इस दुनिया से ही खत्म होने जा रहा है? यह बात मात्र कपोल-कल्पना समझ कर सिर्फ लापरवाही में हंसी में ही उड़ा देने की नहीं है, अपितु इस पर ठन्डे दिमाग से बैठ कर मंथन करने की आवश्यकता है। क्यूँकि दुनिया का इतिहास इस बात का गवाह है कि दुनिया के नक़्शे में पहले जितने भी हिन्दू धर्म पर चलने वाले देश थे, भारत और नेपाल जैसे इक्का दुक्का देश के अलावा उन सभी का अस्तित्व आज खतम हो चूका है और वो सभी न सिर्फ आज कट्टर इस्लामिक में गिने जाते हैं, बल्कि जो देश हिन्दू जनसँख्या की बहुलता से हिन्दू देशों की श्रेणी में गिने जाते थे, आज वहाँ हिन्दू ढूंढने से भी नहीं मिलते, क्यूँकि वहां न सिर्फ हिन्दू सभ्यता और संस्कृति के प्रतीकों ही नष्ट किया गया, बल्कि वहाँ के मूल निवासी हिन्दुओं का अस्तित्व भी समाप्त कर दिया गया है। जो कुछ थोड़े बहुत अपनी जान बचाने में कामयाब भी हुए, उन्हें अपने अस्तित्व को बचाने के लिए अपने ही देश से अपनी समस्त चल-अचल संपत्ति को त्याग कर पलायन करना और संसार के विभिन्न हिस्सों में जा कर बसना पड़ा है।
कांग्रेस और उसके सहयोगियों की कुनीतियों, मुस्लिम चाटुकारिता और दुर्व्यवस्था के कारण न सिर्फ मुस्लिम समाज के अपराधी प्रवृति के लोगों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं, जिसका सीधा असर हमारे हिन्दू समाज और उस की बहु-बेटियों की सामाजिक सुरक्षा पर पड़ रहा है। आये दिन देश में बढ़ते जा रहे सामूहिक बलात्कार के किस्से और थोड़े थोड़े अंतराल पर देश के विभिन्न भागों में होते दंगे इसके ज्वलंत उद्दाहरण हैं।
दुनिया की तीसरे नम्बर की सबसे बड़ी हिन्दू आबादी के कैसे निगल गया बांग्लादेश, कुछ खतना करवा लिये, कुछ मार दिये गये। एक दिन भारत के हिन्दू भी निगल लिये जायेगे, दीमक लग चुका है। मोदी सरकार और संघ मुसलमानों के साथ मिल सरकार चलाने में या पीओके तथा बलोचिस्तान के मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा करने में ही लगे रहेंगे। दुनिया में हिंदू आबादी वाले तीन सबसे बड़े देशों में बांग्लादेश का नाम शामिल था। इसमें पहले स्थान पर भारत था, जहां करीब 97 करोड़ हिंदू आबादी है। इसके बाद नेपाल का नंबर है जहां करीब ढाई करोड़ हिंदू आबादी है। इसके बाद बांग्लादेश का नंबर था, जहां करीब डेढ़ करोड़ हिंदू आबादी थी। 1947 में भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के वक्त बांग्लादेश को पूर्वी पाकिस्तान कहा जाता था, वहां हिंदू आबादी करीब 28 फीसदी थी।
-1971
में बांग्लादेश बनने के बाद 1981 में वहां जो पहली जनगणना हुई, उसमें हिंदू आबादी सिर्फ़ 12 फीसदी रह गई। इसके बाद बांग्लादेश में वर्ष 2011 में जो जनगणना हुई है उसके मुताबिक हिंदू आबादी 9 फीसदी से भी कम रह गई है।
-1947 के बाद से बांग्लादेश के इलाके में, इस्लामीकरण के नाम पर करीब 30 लाख हिंदुओं की हत्याएं की गईं।
-1971
में बांग्लादेश में आज़ादी की लड़ाई के दौरान हुए नरसंहार में पाकिस्तानी सेना और कट्टरपंथियों ने चुन-चुन कर हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाया था।
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इस दौरान हिंदू पुरुषों की हत्याएं, हिंदू महिलाओं का बलात्कार, हिंदू, बौद्ध मंदिरों और उपासना स्थलों पर तोड़फोड़ हुई और बौद्ध भिक्षुओं पर भयानक हमले हुए थे।
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इसकी वजह से बांग्लादेश से बड़ी संख्या में लोग भारत में शरण लेने के लिए आने लगे और इसमें 60 फीसदी आबादी अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय की थी।
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बांग्लादेश बनने के बाद जब वर्ष 1981 में बांग्लादेश की पहली जनगणना हुई, तो उस जनगणना में करीब 5 करोड़ हिंदू आबादी गायब थी।
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वर्ष 2013 और 2014 में इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल ने बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी के नेताओं को 1971 में हिंदू अल्पसंख्यकों के नरसंहार का दोषी पाया और सज़ा दी।
              वर्ष 2013 और वर्ष 2014 में बांग्लादेश के 20 ज़िलों में हिंदू विरोधी हिंसा में करीब 50 हिंदू मंदिर और 1500 हिंदुओं के घर तबाह कर दिए गए। इस हिंसा में हिंदू अल्पसंख्यकों की हत्याएं की गईं, महिलाओं से बलात्कार किया गया, अल्पसंख्यकों के घरों और संपत्तियों में आग लगा दी गई, उनके कारोबार ख़त्म कर दिए और हिंदू उपासना स्थलों को ध्वस्त कर दिया गया। अनुमान के मुताबिक बांग्लादेश में पिछले 10 वर्षों में 10 लाख से भी ज़्यादा हिंदू आबादी गायब हो गई, ये बहुत बड़ा मुद्दा है लेकिन इस पर कभी भी अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान नहीं गया। पाकिस्तान और बांग्लादेश में जिस तरह से अल्पसंख्यक हिंदू आबादी का सफाया किया गया, जिस तरह से उन पर अत्याचार किए गए, वैसे अत्याचार पिछले 60 -70 वर्षों में दुनिया में कहीं भी ना सुने गए होंगे और ना ही देखे गए होंगे लेकिन अफसोस की बात ये है कि इन अत्याचारों पर दुनिया का कोई भी बुद्धिजीवी बात नहीं करता। भारत के बुद्धिजीवी जो ख़ुद को सबसे बड़े मानवतावादी और धर्म निरपेक्षता यानी सेकुलरिज़्म के ठेकेदार बताते हैं उन्हें बांग्लादेश और पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदू आबादी पर हो रहे अत्याचार कभी नहीं दिखे। अगर इस तरह से अत्याचार चलते रहे तो वो दिन दूर नहीं जब बांग्लादेश और पाकिस्तान अल्पसंख्यक मुक्त या फिर कहें कि हिंदू मुक्त देश हो जाएंगे।
              वर्ष 1947 में पाकिस्तान में 24 फीसदी हिंदू आबादी थी जो वर्ष 1998 में घटकर सिर्फ़ 1.6 फीसदी रह गई। वर्ष 1947 में बांग्लादेश में 32 फीसदी हिंदू आबादी थी जो वर्ष 2011 में घटकर सिर्फ़ 5.5 फीसदी ही रह गई। बांग्लादेश के संविधान के मुताबिक देश में हर धर्म के मानने वालों के अधिकार सुनिश्चित करने को कहा गया है। 1977 के बाद से बांग्लादेश कट्टरपंथियों के दबाव में पाकिस्तान की डुप्लिकेट कॉपी बनने के रास्ते पर चल पड़ा। वर्ष 1988 में बांग्लादेश ने ख़ुद को इस्लामिक देश घोषित कर दिया, जहां इस्लाम को राज्य के धर्म के रूप में मान्यता मिली। बांग्लादेश में खालिदा ज़िया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी और जमात ए इस्लामी जैसी पार्टियों ने कट्टरपंथियों को बढ़ावा दिया। बांग्लादेश में इस तालिबानीकरण का सबसे आसान शिकार हिंदू अल्पसंख्यक बने, जिन्हें भयानक तौर पर प्रताड़ित किया गया। बांग्लादेश में वेस्टेड प्रॉपर्टी एक्ट के तहत हिंदू अल्पसंख्यकों की संपत्तियों को हड़प लिया गया, जिससे वो देश छोड़ने पर मजबूर हुए। वेस्टेड प्रॉपर्टी एक्ट के तहत किसी भी नागरिक को देश का दुश्मन घोषित करके उसकी संपत्ति पर कब्ज़ा किया जा सकता है। इस कानून के खिलाफ करीब 26 लाख एकड़ ज़मीन के लिए 10 लाख केस पेंडिंग पड़े हैं जिनकी संपत्ति लौटाने का सरकार ने वादा किया था, लेकिन अब तक एक इंच ज़मीन भी लौटाई नहीं गई। वर्ष 2009 में शेख हसीना के प्रधानमंत्री बनने के बाद अल्पसंख्यकों को सुरक्षा का भरोसा था, क्योंकि शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को उदारवादी माना जाता है। लेकिन वर्ष 2014 के चुनाव से पहले और बाद में भयानक तौर पर हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले किए गए, जिन्हें रोकने में सरकार नाकाम रही। भारत की मोदी सरकार और संघ मुसलमानों के साथ मिल सरकार चलाने में या पीओके तथा बलोचिस्तान के मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा करने में ही लगे रहेंगे। अमेरिका के विदेश विभाग की इंटरनेशनल रीलिजियस फ्रीडम रिपोर्ट में वर्ष 2014 की कई घटनाओं का ज़िक्र किया गया है। इसमें
-मई 2014 में बांग्लादेश के लालमोनिर-हाट ज़िले में 12 वर्ष की हिंदू लड़की का अपहरण करके उसके साथ गैंगरेप किया गया, और उसका धर्म परिवर्तन कराया गया, लेकिन पुलिस ने इस घटना की जांच करने से ही इनकार कर दिया।
-5 जनवरी 2014 को हुए संसदीय चुनाव के दौरान महिलाओं को वोट देने से रोकने के लिए दो हिंदू महिलाओं के साथ गैंगरेप किया गया।
-जनवरी 2014 में ही बांग्लादेश के दिनाजपुर ज़िले के एक गांव में कम से कम 150 हिंदू परिवारों के घर और दुकानों में आग लगा दी गई।
-मानवाधिकार संगठन ASK के मुताबिक वर्ष 2014 में हिंदू अल्पसंख्यकों के 247 पूजा स्थलों और मूर्तियों को तोड़ा गया।
-2014 में ही हिंदू अल्पसंख्यकों के 761 घरों में आग लगा दी गई और 193 दुकानों को तोड़ दिया गया। 2015 से लेकर 2016 अभी तक 1800 हिन्दूओ की हत्या किया जा चुका है।
         भारत मै भी हिन्दू पतन की ओर बढ रहा है।। बीजेपी मोदी और संघ सभी मौन हैं, कभी-कभी इनके घडियाली आँसू जरूर दिख जाते हैं। यदि हिंदू धर्म का विनाश रोकना है तो आपको खड़े होना, आपको मौन तोडना होगा। अन्यथा बहुत देर हो जायेगी।
भारत का एक जल्द से जल्द एक हिन्दू राष्ट्र बनना जरुरी क्यों? मोदी या संघ यद्यपि ना इसके लिए प्रयासरत हैं और न इसके पक्षधर हैं| क्या ये नहीं जानते कि आज़ादी के बाद से आज तक भारत के छह करोड़ से भी अधिक हिन्दुओं को जोर-जबरदस्ती से या लालच देकर मुस्लिम अथवा क्रिश्चियन बनाया जा चूका है? मोदी सरकार और संघ मुसलमानों के साथ मिल सरकार चलाने में या पीओके तथा बलोचिस्तान के मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा करने में ही लगे रहेंगे। क्या ये नहीं जानते कि आज से 20-30 साल बाद जब भारत भी एक इस्लामिक देश बन जायेगा? इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ेगा, ये सत्ता लोभी लोग अपने कार्यालयों पर से स्वयं भगवाध्वज उतार इस्लामिक हरा झण्डा लगालेंगे| अब आप सोच लीजिए, आप क्या करेंगे| आप अपनी जान देंगे, विदेश चले जायेंगे या कि अपने बच्चों सहित मुस्लिम बन जायेंगे? लेकिन तब भी सुरक्षा की क्या गारंटी है, क्यूँकि जो सुन्नी मुस्लिम लोग आज अपने ही उस शिया समुदाय को भी ठिकाने लगाने पर तुले हुए हैं, जो उन्हीं के इस्लाम का सदियों पुराना हिस्सा है, फिर क्या भरोसा कि कल को वो धर्म परिवर्तन से अपनी जान बचाने वालों को भी जिन्दा छोड़ेंगे या नहीं? क्या मोदी सरकार और संघ नहीं जानते कि हिन्दू बहुल भारत होते हुए भी झारखण्ड के पहले से नक्सली पीड़ित रहे ख़ास भाग में आतंकवादियों द्वारा वहाँ रहने वाले हिन्दुओं को इलाका खाली करने या जान माल से हाथ धोने की धमकी भरे सन्देश भेजे जा चुके हैं, जिसकी चर्चा न्यूज़ चैनल की भी सुर्खियां बनी? क्या कश्मीर को 25 साल पहले ही हिन्दुओं से खाली नहीं कराया जा चूका है? क्या मोदी सरकार और संघ नहीं जानते कि आज अरुणाचल और आसाम आदि राज्यों के कुछ मुस्लिम बहुल खास इलाकों में से भी लाखों की संख्या में हिन्दुओं का पलायन जारी है?
क्या मोदी सरकार और संघ को पश्चिम बंगाल, केरल, अरुणाचल और आसाम के कुछ मुस्लिम बहुल खास इलाकों में रहने वाले हिन्दुओं की सैंकड़ों-हज़ारों की संख्या में आगजनी आदि से हुई जान माल की क्षति की अनगिनत बार की घटनाओं की जानकारी नहीं, जिसके कारण आज केरल में हिन्दू नाममात्र ही बचे हैं? क्या मोदी सरकार और संघ नहीं जानते कि बांग्लादेश बनने अर्थात 1971 से भारत के बहुसंख्यक हिन्दू समुदाय को अल्प संख्या में लाने और बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों द्वारा यहाँ भारत में मुस्लिम जनसँख्या को बढ़ाने की एक सोची समझी साज़िश चल रही है, जिसके तहत बांग्लादेश बनने अर्थात 1971 से अब तक इसी साज़िश को अंजाम देने के लिए बांग्लादेश से सात करोड़ से भी अधिक मुसलमानों को अनाधिकृत रूप से भारत में प्रवेश कराया जा चूका है, जिसका साथ लालू, मुलायम और मायावती और ममता बैनर्जी के अलावा सम्पूर्ण कांग्रेस के नेता भी बखूबी दे रहें हैं। इसीलिए ये सभी अक्सर ही उन बांग्लादेशी घुसपैठियों को वापस बांग्लादेश भेजने के प्रश्न पर भड़क जाते हैं, क्यूँकि उनमें से अधिकांश को तो अपना वोट बैंक बढ़ाने की खातिर ये लोग पहले ही भारत की नागरिकता दे भी चुके हैं। यदि बांग्लादेशी घुसपैठियों की वापसी पर सख्ती से अमल होता है, तो इन सबकी ये साज़िश भी सामने आ जाएगी। क्या मोदी सरकार और संघ नहीं जानते कि बांग्लादेश में वहाँ रहने वाले बंगाली हिन्दुओं पर कैसे कैसे कहर ढाये जा रहे हैं, जिसके कारण वो लोग भी वहाँ से पलायन करने पर मज़बूर हैं? क्या मोदी सरकार और संघ नहीं जानते कि पाकिस्तान में अपनी चल-अचल धन-संपत्ति छोड़कर अपनी जान बचाने की खातिर वहाँ के हिन्दुओं को लाखों की संख्या में भारत के राजस्थान आदि में शरण लेनी पड़ी है, जो किसी भी कीमत पर वापस पाकिस्तान जाने को तैयार नहीं? उन लाखों हिन्दुओं को तो यहाँ के मूल निवासी होने पर भी आज तक भारत की नागरिकता नहीं दी गई है, जबकि इन लालू, मुलायम मायावती और ममता बैनर्जी आदि के शासनकाल में और कांग्रेस शासित प्रदेशों में कांग्रेस के इशारे पर करोड़ों की संख्या में बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों को यहाँ की नागरिकता दे दी गई है, आखिर क्यों? आप चाहे लड़कें हों या लड़की हों, आदमी हों या औरत हों, जवान हों या बूढ़े हों, अमीर हों या गरीब हों, नेता हों या अभिनेता हों, कर्मचारी हों या व्यापारी हों, जज हों या वकील हों, भले ही हम लोग कितने भी पढ़े लिखे हों या बिलकुल अनपढ़ हों। लेकिन यदि हम हिन्दू हैं तो क्या यह हमारा फ़र्ज़ नहीं बनता कि हम अपने अपने स्तर पर हम में से हर एक का यह कर्तव्य बनता है, कि अपने से मिलने जुलने वाले हर एक व्यक्ति से संसार के सभी 56 हिन्दू देशों के इस्लामिक देश बनने और वहां के मुस्लिम्स के द्वारा वहां उन देशों में रहने वाले हिन्दुओं के ऊपर किये जा रहे अत्याचारों के बारे में बातचीत अवश्य करें, क्यूँकि यह न केवल आपके और आपकी ही बल्कि उन सभी की आने वाली पीढ़ियों की भी जिंदगी का प्रश्न है, जिनसे आप इस बारे में बातचीत करेंगे। इस विषय में कुछ होना चाहिए, हिंदुओं को बचाना है| मोदी या संघ यद्यपि ना इसके लिए प्रयासरत हैं और न इसके पक्षधर हैं| क्या ये नहीं जानते कि आज़ादी के बाद से आज तक भारत के छह करोड़ से भी अधिक हिन्दुओं को जोर-जबरदस्ती से या लालच देकर मुस्लिम अथवा क्रिश्चियन बनाया जा चूका है? मोदी सरकार और संघ मुसलमानों के साथ मिल सरकार चलाने में या पीओके तथा बलोचिस्तान के मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा करने में ही लगे रहेंगे। क्या ये नहीं जानते कि आज से 20-30 साल बाद जब भारत भी एक इस्लामिक देश बन जायेगा? इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ेगा, ये सत्ता लोभी लोग अपने कार्यालयों पर से स्वयं भगवाध्वज उतार इस्लामिक हरा झण्डा लगालेंगे| अब आप सोच लीजिए, आप क्या करेंगे|
 कभी यहाँ की भोली भाली जवान व् खूबसूरत लड़कियों की मासूमियत और नासमझी/अनभिज्ञता का लाभ उठाकर उन्हें लव-जेहाद जैसे हथकंडों में फंसाया जाता है, जिसमें कभी-कभी तो अपने आपको जरुरत से ज्यादा मॉडर्न व् समझदार समझने वाली पढ़ी-लिखी मगर वास्तविकता में निहायत ही बेवकूफ किस्म की लड़कियां भी फंस जाती हैं, जिनका परिणाम अक्सर ही समाचार-पत्रों में चर्चा का विषय बन जाया करता है तो कभी कभी उनकी यह आधुनिकता भरी समझ उन्हें आत्महत्या की कगार तक भी पहुँचा देती है। कभी इन लोगों के द्वारा कभी यहाँ हिन्दुओं के गरीब व् अनपढ़ तबके खासकर पिछड़ी जाति के लोगों को ऊँची जाति के लोगों के खिलाफ भड़काया जाता है। मुसीबत तो यह है कि इन तथाकथित पिछड़ी जातियों के पढ़े-लिखे लोग भी बिना कुछ सोचे समझे ही इन लोगो की हाँ में हाँ मिला देते हैं, जिसका परिणाम यह होता है कि उस समय वहाँ मौजूद अन्य गरीब व् अनपढ़ लोग उनकी बात को सही समझकर खुद अपने ही हिन्दू धर्म की जड़ें खोदने का काम शुरू कर देते हैं।
कभी सोचा है कि ऐसा सिर्फ हिन्दू धर्म के लोगों के साथ ही क्यों किया जाता है? क्या आपको पता है कि समस्त संसार के अधिकांश देश या तो क्रिश्चियन हैं या इस्लामिक अथवा मुस्लिम देश। जबकि हमारा सनातन हिन्दू धर्म संसार में तीसरा सबसे अधिक माना जाने वाला धर्म होते हुए भी बहुसंख्यक हिन्दुओं का इकलौता देश यह भारत ही है या नाममात्र का छोटा सा गरीब देश नेपाल। इस्लाम व् क्रिश्चयन दोनों ही धर्म किसी भी प्रकार से समस्त संसार के ताकतवर देशो पर अपनी हुकूमत चाहते हैं, ताकि संसार के बाकी कमज़ोर देशों को अपनी आधीन कर सकें या इच्छानुसार चला सकें। और यही इच्छा इन दोनों धर्मों की भारत के बारे में भी है।
इसलिए अभी से सोच लीजिये कि आपको भविष्य में हिन्दू बनना है या क्रिश्चियन। मुसलमान आपको मार-मार कर मुस्लिम बनाएंगे और क्रिश्चियन लालच देकर। अगर आप सोचते हैं भाजपा और संघ आपको बचाने आयेंगे, तो यह आपका दु:स्वप्न ही सिद्ध होने जा रहा है| लेकिन फायदा क्रिश्चियन बनने में है, क्यूँकि क्रिश्चियन देश लूटते भले ही हों, लेकिन वो किसी को जान से नहीं मारते। वो बात अलग है कि वो आपको लालच देकर क्रिश्चियन बनाने की कोशिश करेंगे। बन गए तो ठीक वर्ना मुसलमान आपको मुसलमान बना देंगे या मार देंगे। लेकिन भारत में रह कर हिन्दू आप किसी भी हालत में नहीं रहेंगे, क्यूंकि तब तक तो यह एक इस्लामिक देश बन चुका होगा। जिसका सबसे बड़ा सबूत संसार के सभी हिन्दू 56 देशों का पहले ही इस्लामिक देश बन जाना है और पिछले साल 15 अगस्त को भारत को एक इस्लामिक देश बनाने की मांग केरल में उठ भी चुकी है, जिसके फोटोज आप पुरानी पोस्ट्स में भी देख सकते हैं। इनका केवल एक ही लक्ष्य है कि किसी भी प्रकार से यहाँ के बहुसंख्यक हिन्दू आपस में लड़ें, कमज़ोर हों और उनका हिन्दू धर्म से मोह भंग हो सके और वो यहाँ के बहुसंख्यक हिन्दुओं को अल्प संख्यक बना सकें, ताकि अपनी सुविधानुसार जब जी चाहे इसे एक क्रिश्चियन या इस्लामिक देश में परिवर्तित किया जा सके। जबकि अमीर गरीब या ऊँच-नीच की ये जातिगत विसंगतियाँ किस धर्म में नहीं हैं? क्या क्रिश्चियन व् इस्लाम में नहीं हैं? क्या क्रिश्चियन धर्म में रोमन कैथोलिक व् प्रूटेस्टेंट नहीं होते? क्या उनमें आपस में शादियाँ आसानी से हो जाती हैं, फिर यह तोहमत केवल हिन्दू धर्म पर ही क्यों लगायी जाती है? क्या इस्लाम में शिया-सुन्नी नहीं होते, जिनमें संसार के सभी कोनों में अक्सर ही मुठभेड़ भी होती रहती हैं? क्या उनमें विभिन्न जातियां नहीं होती? और तो और जो लोग धर्म परिवर्तन करके मुसलमान बन भी जाते हैं, उन्हें भी इस्लाम को शुरू में ही अपनाने वाले लोग भी दोयम दर्जे का मुसलमान यांनी मुहाजिर कहते हैं। मुस्लिम वर्ग के लोग दिल्ली तो इन मुठभेड़ों का खास गवाह रहा है, जब कुछ साल पहले तक भी मुहर्रम के अवसर पर इस्लाम के इन दोनों वर्गों के लोग ताजिये निकलते वक्त अक्सर ही भिड़ जाया करते थे। क्रिश्चियन देशों में और मुस्लिम देशों में सबसे बड़ा अंतर यही है कि क्रिश्चियन धर्म वाले देश अन्य गरीब देशों के लोगों को अपरोक्ष रूप से लूट-लूट कर अमीर बनना चाहते हैं, तो मुस्लिम धर्मानुयायी अपराध के रस्ते दूसरे धर्मानुयायियों की धन-संपत्ति आदि को हड़प कर के अमीर बनना चाहते हैं, जिसका सबसे बड़ा उद्दाहरण कश्मीर, बांग्लादेश और पाकिस्तान सहित सभी मुस्लिम देशों में गैर-मुस्लिम लोगों खासकर हिन्दुओं को मार-पीट कर, उन्हें मारकर अथवा वहां से खदेड़ कर उनकी संपत्ति पर कब्ज़ा किया जाना है। भारत के कश्मीर से हिन्दू 25 साल पहले ही भगा दिए गए, जो आज तक देश के विभिन्न भागों में खानाबदोशों की जिंदगी बसर कर रहे हैं। केरल, आंध्र आदि में ओवैसी भाइयों की दादागिरी तो जगजाहिर है ही, इसके अलावा पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश व् महाराष्ट्र आदि राज्यों के बहुत बड़े भागों को आजकल वहाँ रहने वाले हिन्दुओं ने ही मिनी पाकिस्तान का नाम भी दे दिया है, क्यूँकि वहां केवल मुस्लिम्स की ही हुकूमत चलती है। कश्मीर पहले ही खाली करवा चुके हैं, झारखण्ड के बहुत बड़े भाग में तो ISIS के आतंकवादियों द्वारा हिन्दुओं को घर छोड़कर चले जाने की धमकी के पर्चे भी समाचारों में आ ही चुके हैं और अरुणाचल एवं आसाम आदि में से भी कश्मीर की तर्ज पर हिन्दुओं का पलायन लगातार जारी है। अब यह फैसला आपको करना है कि आप मुसलमान बनना चाहते हैं या क्रिश्चियन, क्यूँकि आपको जिन्दा रहने के लिए या तो आपको किसी क्रिश्चियन देश में जा कर बसना होगा या आपको इन दोनों में से एक को तो अवश्य ही चुनना होगा। वर्ना आने वाले 30 साल के बाद तो आपकी भावी पीढ़ी का अंत तय है। इस सबसे बचने का केवल एक ही मार्ग है कि न सिर्फ इस समस्या के बारे में अपने सभी जानकारों, मित्रों व् रिश्तेदारों आदि से अक्सर चर्चा ही करेंगे, बल्कि हम सभी आज से ही ये प्रण करें कि हम इस देश को वो विषम एवं दुखदायी परिस्थितियां आने से पहले ही जल्दी से जल्दी भारत को एक हिन्दू राष्ट्र घोषित करवा सकें।
इससे पहले कि मुस्लिम मैजोरिटी में आकर यहाँ उत्पात मचाएं और इस देश को एक इस्लामिक देश बना पाएं, उससे पहले ही हम सबकी यह कोशिश होनी चाहिए। हम तो आपको केवल इस बात का एहसास कराना चाहते हैं कि इस तथाकथित थोथी धर्मनिरपेक्षता की नीति में क्या रखा है? जबकि प्रथम तो धर्मनिरपेक्षता का अर्थ ही सभी धर्मों को एक समान अधिकार एवं एक समान न्याय देना ही होता है, लेकिन क्या भारत में कभी वास्तव में ऐसा होता भी है?
नहीं होता, उसके दो ही कारण हैँ - पहला कारण कि मुस्लिम खुद ही इसे कभी नहीं मानते और दूसरा कारण यह कि अपने आपको धर्मनिरपेक्ष कहने वाले कांग्रेस और उसके सभी सहयोगी दलों के मुस्लिमपरस्त नेताओं ने इस धर्मनिरपेक्षता की नीति केवल मुस्लिम तुष्टिकरण और हिन्दुओं के अपमान ही है। फिर क्या दिया है हमें इस धर्मनिरपेक्षता की नीति ने? केवल हम हिन्दुओं को अपने हिन्दू भाइयों से उन थोथे सिद्धांतों के लिए लड़कर अपने ही हिन्दू धर्म और अपने ही देश की जड़ें खोदना ही सिखाया है, वरना न तो यह देश कभी किसी का ग़ुलाम बनता और न ही ये विषम परिस्थितियां कभी हमारे व् हमारे बच्चों के सामने आती? हम आपसे कोई यह तो कह नहीं रहे कि आइये ! हम और आप सभी हिन्दू एकजुट होकर मुसलमानों का कत्लेआम करेंगे? हमारे हिन्दू धर्म और हमारे घर-परिवारों में यह नीचता या बर्बरता तो कभी भी सिखाई नहीं जाती। लेकिन कम से कम इन हालात में हम सभी एकजुट होकर ऊपर बताये हुए इस उपाय पर अमल करके इसके ज़रिये अपने देश में आने वाले संकट से तो निपट सकते हैं ना? |
हो सकता है कि भारत को एक हिन्दू देश बनाने की घोषणा होते ही मुसलमान सारे भारत में एक बार जोर-शोर से दंगा फैलाने की कोशिश करें? जिसको काबू करने के लिए सारे भारत में सशक्त और कट्टर पंथी हिन्दू नेताओं के हाथ में वहां की सत्ता अवश्य होनी चाहिए, खासकर उन प्रदेशों में, जिनमें वहाँ के लोग बड़े भाग को मिनी पाकिस्तान का नाम पहले ही दे चुके हैं, ताकि किसी भी समुदाय के जान-माल की ज्यादा हानि न हो सके। अपने मुस्लिम मित्रों को भी आप यह कहकर भारत को एक हिन्दू राष्ट्र बनाने की इस आंदोलन में साथ देने के लिए संतुष्ट कर सकते हैं कि हमारी अपनी सभ्यता और संस्कृति मनुष्य को मनुष्य बनाने के लिए पर्याप्त है, हमें आयातित (इम्पोर्टेड) संस्कृतियों की क्या आवश्यकता है| हमारा इतिहास भी इस बात का गवाह है कि प्राचीन काल से आज तक कभी किसी भी हिन्दू राजा ने गैर हिन्दुओं पर अत्याचार नहीं किये, वरना यहाँ कभी कोई दूसरा धर्म पनप ही नहीं पाता। जबकि बाबर, महमूद गजनवी, चंगेज़ खान, तैमूरलंग, मुहम्मद गौरी और औरंगज़ेब समेत न जाने कितने ही मुस्लिम बादशाहों के द्वारा हिन्दू मंदिरों को तोड़ने, उन्हें लूटने और यहाँ की हिन्दू प्रजा पर जुल्मो-सितम के किस्से तो इतिहास में भरे पड़े हैं। ये आयातित धर्म तथा संस्कृतियां मनुष्य को मनुष्य बनाने के स्थान पर पिशाच बना रहे हैं| इनकी भारत को अथवा विश्व को ही क्या आवश्यकता है|
और हाँ एक बात यह भी याद रखियेगा कि मोदी जी या संघ भी इस विषय में कुछ नहीं करेंगे, जब तक कि आप कुछ कट्टर देशभक्त और कट्टर हिन्दू नेताओं को नहीं चुनते। मोदी या संघ ना इसके लिए प्रयासरत हैं और न इसके पक्षधर हैं| क्या ये नहीं जानते कि आज़ादी के बाद से आज तक भारत के छह करोड़ से भी अधिक हिन्दुओं को जोर-जबरदस्ती से या लालच देकर मुस्लिम अथवा क्रिश्चियन बनाया जा चूका है? मोदी सरकार और संघ मुसलमानों के साथ मिल सरकार चलाने में या पीओके तथा बलोचिस्तान के मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा करने में ही लगे रहेंगे। क्या ये नहीं जानते कि आज से 20-30 साल बाद जब भारत भी एक इस्लामिक देश बन जायेगा? इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ेगा, ये सत्ता लोभी लोग अपने कार्यालयों पर से स्वयं भगवाध्वज उतार इस्लामिक हरा झण्डा लगालेंगे| अब आप सोच लीजिए, आप क्या करेंगे|

जय भगवा ध्वज, जय माँ भारती|

बलात्कार: जिहाद का हथियार

बलात्कार :जिहाद का हथियार जिहाद दुनिया का सबसे घृणित कार्य और सबसे निंदनीय विचार है .लेकिन इस्लाम में इसे परम पुण्य का काम बताया गया है .जिह...